किशनगंज, बिहार
एमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि सीमांचल के लोगों के हक और अधिकार के लिए हमेशा संघर्षरत रहूंगा। ज़िंदगी जब तक वफा करेगी सीमांचल के हक के लिए हमेशा लड़ता रहूंगा। अगर ज़रूरत पड़ी तो आप लोगों की आवाज़ संसद में भी उठाऊंगा। इसीलिए मैंने जमात की बुनियाद सीमांचल में डाल दी है। सांसद असदुद्दीन ओवैसी बिहार में पार्टी की हार की समीक्षा के लिए बुलाए गए सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
विधानसभा चुनाव के खत्म होने के बाद असदुद्दीन ओवैसी पहली बार बिहार पहुंचे। वे कोलकाता से किशनगंज सड़क मार्ग से पहुंचे। एमआइएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के टाउन हॉल पहुंचते ही पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनका ज़ोरदार स्वागत किया। इसके बाद असदुद्दीन ओवैसी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि चुनाव में जीत-हार तो लगी रहती है। चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं को विधानसभा चुनाव में मिली हार से घबराने की कोई ज़रूरत नही है। कभी-कभी चुनाव जीतने के लिए पहला चुनाव हारना भी पड़ता है। कार्यकर्ता अपना हौसला बनाए रखें।
ओवैसी ने कहा कि फिर पांच साल बाद आने वाले विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों को मैदान में उतारा जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे पहले इन पांच सालों में सीमांचल में हमें अपना जनाधार बढ़ाने की ज़रूरत है। आगामी पंचायत चुनाव में एमआइएम अपनी जड़ें जमाने के लिए हर संभव कोशिश करेगी। जमात की कामयाबी के लिए आप लोगों को आगे आना होगा।
बिहार के हालात का ज़िक्र करते हुए असदुद्दीन औवैसी ने कहा कि राज्य में मुसलमानों आबादी 17 फीसदी है, लेकिन अब तक इन्हें बिहार की राजनीति में सही जगह नहीं मिल पाई है। सीमांचल समेत कई मुस्लिम बाहुल्य इलाके में इन्हें केवल वोट बैंक के रूप में देखा गया है। जिस दिन मुसलमान के 50 विधायक बिहार विधानसभा में चुनाव जीत कर पहुंचेंगे, उस दिन इन्हें उनका हक और अधिकार मिलेगा।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह दुनिया जन्नत नहीं है। यहां इंसानी ज़िंदगी एक जंग के तरह है, जहां त्याग और बलिदान देकर इंसान अपना वजूद कायम रख सकता है। एमआइएम के चुनाव लड़ने का मकसद फिरकापरस्त ताकतों को मुंहतोड़ जवाब देना और लोगों के जान-माल की हिफाज़त करना है।
एमआइएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने कहा कि सीमांचल के लोगों को उनके हक और अधिकार के लिए उनका संगठन हमेशा आवाज़ उठाता रहेगा। इसके लिए सत्ता में बैठे लोगों का विरोध ही क्यों नहीं करना पड़े।
इस दौरान मुख्य रूप से इशहाक आलम, इस्तियाक आलम, गुलाम सरवर, आफताब अहमद, गुलाम शाहिद, आसिफ रहमान, शाहनवाज़ आलम, मज़हरुल हसन, शमशुल होदा, अब्दुल क्यूम, अमित पासवान, गुलाम सुहानी, जसीरुद्दीन, गुलाम शाहिद, आशिफा रहमान, और कमरुज्ज़मा समेत बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद थे।