तनवीर आलम की फेसबुक वाल से
मुज़फ्फरपुर, बिहार
मुज़फ्फरपुर के कमरा मोहल्ला में नीतीश कुमार की पुलिस ने एक मौलाना Syed Mohammad Kazim, उनकी पत्नी, बच्चों और परिवार की महिलाओं को जिस क्रूरता से मारा। मौलाना का हाथ तोड़ दिया। ये अपने आप में नीतीश के सुशासन के ढोल की धज्जियाँ उड़ाने के लिए काफी है। बीते दिनों में बिहार पुलिस की ये क्रूरता अल्पसंख्यक, दलित, पिछड़े और शोषित समाज के प्रति पुलिस प्रशासन के अंदर फैलते ज़हर का खुला सबूत है। उससे भी शर्म की बात ये है कि मुस्लिम समाज के बुद्दिजीवी, मौलाना लॉबी, राजनीतिज्ञ, पत्रकार खामोश हैं।
इस पुलिसिया गुंडागर्दी के पीछे के सत्य और असत्य क्या है वो एक शोध का विषय है। मौलाना काज़िम की गलती क्या थी। विपक्ष में जो लोग हैं वो कितने सही हैं। ये अपनी जगह अभी भी क़ायम है, लेकिन क़ानून को भी क़ानून हाथ में लेने की इजाज़त किसने दी ?
मैं आज 18 दिनों से अपनी बीमारी के कारण अपने बड़े भाई के यहाँ कमरा मोहल्ला से सटे बिन्देश्वरी कम्पाउंड में हूँ। कल दोपहर बाद जब ये घटना घट रही थी तो मैं यहीं अपने रूम में बंद दुनिया से बेखबर था। मेरे भतीजे ने आकर बताया की पापा पूरा कमरा मोहल्ला पुलिस छावनी में बदला हुआ है। बदकिस्मती कहिये या खुशकिस्मती कि मैं चलने फिरने के लायक नहीं हूँ, वरना जाता और जाता तो कुछ विरोध भी करता। विरोध करता तो पिटता या धुनाई के बाद जेल में होता।
मैंने जो पता किया उसके आधार पर ये वक़्फ़ की ज़मीन का मामला है और मामला बहुत पुराना है। मौलाना काज़िम का अपना स्टैंड है और विरोधियों का अपना। लेकिन इस वक़्फ़ संपत्ति के मामले में प्रशासन का रोल इतना क्रूर क्यों ?
मुज़फ़्फरपुर की जनता इतना खामोश क्यों?
सिविल सोसाइटी खामोश क्यों?
सुन्नियों की पूरी जमात खामोश क्यों, मौलाना शिया है इसलिए?
ईमारत-ए-शरिया, जमीयत-उल-उलेमा-ए-हिन्द और दूसरे मिल्ली इदारे खामोश क्यों?
समाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने वाले खामोश क्यों?
महिला आयोग कहाँ है ?
सवाल बहुत है। ईमानदारी से जवाब ढूंढ लीजिये क्योंकि अगला नंबर आपका है।
‘उस के क़त्ल पे मैं भी चुप था मेरा नम्बर अब आया,
मेरे क़त्ल पे आप भी चुप है अगला नम्बर आपका है।’
।नवाज़ देवबंदी।
(तनवीर आलम समाजवादी विचारक, समाजसेवी और अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय पूर्व छात्र संगठन महाराष्ट्र, मुम्बई के अध्यक्ष हैं।)
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