लखनऊ, यूपी
गोमती नगर के मल्हौर के ट्रेन रूट पर गुज़रेंगे तो भरवारा क्रॉसिंग पर आप की नज़र पड़ेगी तो आप अचरज में पड़ जाएंगे। क्योंकि यहां क्रॉसिंग पर ट्रेनों को झंडी दिखाने का काम महज़ 22 साल की सलमा बेग करती हैं। वह इस क्रॉसिंग पर गेटवुमेन का काम करती है। वह देश की पहली गेटवुमेन महिला हैं। सलमा बेग का जुनून है कि वह 12 घंटे लगातार काम करती हैं।
कहते हैं कि उड़ान के लिए हौसले ज़रूरी होते हैं। सलमा बेग इसी हौसले के सहारे आज भारतीय रेलवे के सबसे कठिन काम को भी अंजाम दे रही हैं। इसके बावजूद उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कुराहट बनी रहती है। सलमा बेग रोज़ 12 घंटों तक नान-स्टाप रेलवे लाइन के किनारे खड़े होकर आती जाती ट्रेनों को लाल-हरी झंडी दिखाती हैं।
दरअसल इस तरह का काम मुश्किल भरा होता है। ऐसे कामों से लड़किया अब तक दूर ही रही हैं लेकिन सलमा बेग पिछले कई महीनों से इस काम को अच्छे से अंजाम दे रही हैं। रेलवे में हर तरफ उसके इस काम की चर्चा हो रही है।
दरअसल सलमा बेग का ये फैसला मुश्किल भरा था। बात साल 2010 की है जब सलमा के पिता मिर्ज़ा सलीम बेग की तबियत खराब हो गई। ड्यूटी पर जाने से उनकी तकलीफ बढ़ती गई। मां को पैरालिसिस थी। अब परिवार की गाड़ी को आगे ले जाने के लिए सहारे की ज़रूरत पड़ी। ऐसे में सलमा बेग ने फैसला किया कि वह गेटवुमेन का काम करेगी। थोड़ी बहुत दौड़भाग के बाद रेलवे विभाग ने उनकी अर्जी पर विचार करते हुये पिता की जगह पर काम करने की इजाजत दे दी। सलमा बेग का यही फैसला उसे नई पहचान दिला गया।
सलमा बेग ने बताया कि वो सुबह 7.30 बजे राजधानी के गोमती नगर में बने मल्हौर रेलवे स्टेशन पहुंच जाती है। यहां हाज़िरी लगाने के बाद सलमा सुबह 8 बजे तक भरवारा क्रॉसिंग पर पहुंचती है। यहां पर वह रात में ड्यूटी पर तैनाम गेटमैन से चार्च लेती है। इसके बाद उसका काम शुरू हो जाता है। सलमा बड़ी ज़िम्मेदारी से क्रॉसिंग बंद कर रेलगाड़ियों और मालगाड़ियों को पास कराने और क्रॉसिंग खोलने का काम कर रही है। सलमा पूरे दिन बिना थके अपने काम को रात 8 बजे तक पूरी ईमानदारी और सावधानी के साथ अंजाम देती है।
सलमा बेग ने बताया कि जब ट्रेन पास होनी होती है तो स्टेशन से मैग्नेटोफोन पर ट्रेन की डिटेल्स दी जाती हैं। इसके बाद वो आने वाली ट्रेन की डिटेल्स अपनी ड्यूटी बुक में लिख लेती है। इसके बाद गेट की चाभी लेकर तुरंत क्रॉसिंग डाउन करके उसे लॉक कर देती है। ट्रेन गुजरते समय सलमा हाथ में लाल-हरी झंडियां लेकर पूरी मुस्तैदी से ट्रेन के पहियों को चेक करती रहती है। कुछ गड़बड़ होने पर उन्हें तुरंत स्टेशन मास्टर को बताना होता है। ट्रेन गुजरने के बाद सलमा तेजी से अपने रूम में जाकर गेट की-बॉक्स से चाभी निकालकर क्रॉसिंग खोलती है। हर घंटे करीब 10 ट्रेनों को पास कराती है। सलमा बिना थके चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान लिए काम करती रहती है।
सलमा बेग के इसी जज़्बे ने उसे आज एक नया मुकाम दे दिया है। उसे एक नई पहचान मिली है। उसके इस संघर्ष को लोग सलाम करते हैं।