सहारनपुर, यूपी
तीन तलाक के मुद्दे पर उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की पत्नी सलमा अंसारी के बयान से उलमा सहमत नहीं हैं। ज़्यादातर उलेमाओं का कहना है कि किसी भी मसले के बारे में जानकारी नहीं है तो उस पर बोलने से पहले सोच लेना चाहिए। दारुल उलूम जकारिया के उस्ताद और फतवा ऑनलाइन के प्रभारी मौलाना मुफ्ती अरशद फारुकी का कहना है कि किसी भी चीज के बारे में उसके जानकार ही सही राय दे सकते हैं।
दरअसल उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की पत्नी ने कहा था कि कुरान में तीन तलाक का ज़िक्र नहीं है। उलेमाओं की कहना है कि ऐसे मामले में जानकारों की राय की अहमियत होती है और उसे ही माना जाता है। अरबी के मशहूर विद्वान मौलाना नदीमुलवाजदी का कहना है कि सलमा अंसारी न तो आलिमा हैं, न वो मुफ्ती और न ही शरीयत की जानकार हैं। इसलिए तीन तलाक के नाज़ुक मुद्दे पर बिना जानकारी उनका बोलना ठीक नहीं है। हर आदमी वो चाहे औरत हो या मर्द उसे जिम्मेदारी से बोलना चाहिए। ताकि समाज भ्रमित न हो।
मौलाना नदीमुल वाजदी ने कहा कि तीन तलाक का मसला शरीयत का है। जिस पर उलेमा ही सही राय दे सकते हैं। क्योंकि वो ही इसके सही जानकार होते हैं। जानकारी के अभाव में किसी भी मुद्दे पर सार्वजनिक तौर पर गलत बयानबाजी का समाज में गलत संदेश जाता है। ऐसे में लोगों की अपनी ज़ाती राय नहीं रखनी चाहिए।