नयी दिल्ली
1984 के सिख विरोधी दंगे के एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। दिल्ली कैंट के मामले में कोर्ट बड़ा फैसला सुनाते हुए कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनायी है। सज्जन कुमार पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने सोमवार को सज्जन कुमार को दंगा भड़काने और साजिश रचने का दोषी करार दिया और इसके लिए उसे उम्रकैद की सजा सुनायी। सज्जन कुमार को निचली अदालत ने इस मामले में बरी कर दिया था जिसके खिलाफ पीड़ित पक्ष ने हाई कोर्ट में अपील की थी।
अब सज्जन कुमार को दिसंबर तक सरेंडर करना होगा और तब तक वह दिल्ली नहीं छोड़ सकते हैं। सज्जन कुमार के अलावा नौसेना के रिटायर्ड अधिकरी कैप्टन भागमल, पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोखर और गिरधारी लाल को भी दोषी करार दिया गया है। इन तीनों को निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इनके अलावा पूर्व विधायक महेंद्र यादव और किशन खोखर को भी दोषी करार पाया गया जिन्हें निचली अदालत ने तीन साल की सजा सुनाई थी। अब उच्च न्यायालय ने इन सभी पांचों दोषियों को 10-10 साल की सजा सुनाई है।
सिख विरोधी दंगे में फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने कहा यह आज़ादी के बाद की सबसे बड़ी हिंसा थी। इस दौरान पूरा तंत्र फेल हो गया था। यह हिंसा राजनीतिक फायदे के लिये करवायी गयी थी। सज्जन कुमार ने दंगा भड़काया था।
मालूम हो कि के सिख दंगों से जुड़ा यह मामला पांच लोगों की मौत से जुड़ा है। दिल्ली कैंट इलाके के राजपुर में एक नवंबर 1984 को हज़ारों लोगों की भीड़ ने दिल्ली केंट इलाके में सिख समुदाय के लोगों पर हमला कर दिया था जिसमें एक परिवार के तीन भाइयों नरेंद्र पाल सिंह, कुलदीप और राघवेंद्र सिंह की हत्या कर दी गयी जबकि एक दूसरे परिवार के गुरप्रीत और उनके बेटे केहर सिंह भी मारे गये थे।
बाद में दिल्ली पुलिस ने वर्ष 1994 में ये केस बंद कर दिया था लेकिन नानावटी कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर वर्ष 2005 में इस मामले में केस दर्ज किया गया। मई 2013 में निचली अदालत ने इस मामलें में पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोखर, नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल और दो अन्य लोगों को दोषी करार दिया लेकिन कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। इसके बाद पीड़ित पक्ष और दोषियों ने उच्च न्यायालय की शरण ली थी। इसी वर्ष 29 अक्टूबर को दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। सज्जन कुमार के खिलाफ 1984 सिख दंगों से जुड़े कुल पांच मामले चल रहे हैं जिनकी जांच 2014 में गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) कर रही है।