Breaking
15 Mar 2025, Sat

सहारनपुर: राजनीति की प्रयोगशाला के तौर पर हो रहा है इस्तेमाल

आसिफ ख़ान की फेसबुक वाल से

ASIF KHAN SOCIAL MEDIA 1 250517

सहारनपुर मेरा अपना ज़िला, मेरा अपना शहर। 40 लाख की आबादी में 43 फीसद मुसलमान, 34 फीसद दलित और बाक़ी सभी हिन्दू बिरादरियां, सिक्ख और ईसाई। 7 विधानसभा में फैले सहारनपुर में फ़िलहाल 2 एमएलए कांग्रेस के, एक समाजवादी पार्टी और 4 बीजेपी से हैं। 2012 में बीजेपी का एक एमएलए और बीएसपी के 4 थे। इस बार बीएसपी खाता भी नही खोल पाई। ज़ाहिर है इस मर्तबा बीजेपी की जीत में दलितो के वोट का भी हिस्सा है।

मौजूदा सूरत-ए-हाल ये है कि देवबन्द विधानसभा के एक गाँव में ठाकुर दलित संघर्ष को दलित बनाम स्वर्ण की लड़ाई के तौर पर पेश किया जा रहा है। जबकि ऐसा है नही। ये सियासी बाज़ीगरों की एक चाल है। इसमें दूसरी पार्टियों का कम बल्कि बीजेपी की अंदरूनी राजनीति का ज़्यादा दख़ल है।

सहारनपुर के सांसद राघव लखनपाल के राजनाथ सिंह से नजदीकी सम्बन्ध हैं… बेहद नज़दीकी। सुगबुगाहट ये भी है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के ठाकुरों का एक गुट पहाड़ी ठाकुर सीएम आदित्यनाथ के खिलाफ काम कर रहा है जिसको पार्टी के पुराने ठाकुर नेताओं की सरपरस्ती हासिल है। खेल कुछ और है और खेल के खिलाड़ी कहीं और बैठे हैं।

सहारनपुर इतना गर्म नहीं जितना बताया जा रहा है। हमेशा शांत रहने वाला ज़िला है जिसको राजनीति की प्रयोगशाला के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। छोटी घटना को बहुत बड़ा बनाया गया। मायावती की रैली से लौट रहे लोगो पर घात लगा के हमला किसी बड़ी सियासी साज़िश का हिस्सा है। जिसके तार कही और जुड़े हैं।

सहारनपुर के हिन्दू, मुस्लिम, दलित और ठाकुर भाईयों से गुज़ारिश है कि चौकस रहें। अलर्ट रहें। मुस्तैद रहें। किसी को भी राजनीतिक रोटियां मत सेंकने दें।

#सहारनपुर ज़िंदाबाद

(लेखक आसिफ ख़ान सीनियर टीवी पत्रकार और एंकर है, फिलहाल ईटीवी से जुड़े हैं)