नई दिल्ली,
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और जमीयत उलेमा ए हिन्द के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी की मुलाकात ने कई लोगो को अचंभे में डाल दिया है लेकिन आरएसएस इस मसले पर मौन है। बल्कि मदनी का कहना है कि मुलाकात हिन्दू- मुस्लिम एकता बढ़ाने के लिए हुई है।
दिल्ली का झंडेवालान इलाका जो आरएसएस के दिल्ली मुख्यालय के तौर पर भी पहचान रखता है। बीते शुक्रवार को यहां एक चौंकाने वाली घटना घटी है। आरएसएस के इस मुख्यालय में आरएसएस प्रमुख के साथ मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा ए हिन्द के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी की डेढ़ घंटे लंबी मुलाकात हुई, मुलाकात को लेकर आरएसएस मौन है लेकिन जमीयत उलेमा ए हिन्द ने इस पर चुप्पी तोड़ी है।
सूत्रों का कहना है कि मौजूदा हालात में हिन्दू-मुस्लिम एकता को और मजबूत करने के लिए इस बैठक की कोशिशें पिछले दो साल से हो रही थी, भीड़तंत्र द्वारा हत्या और तीन तलाक कानून पास होने के बाद देश में हिन्दू-मुस्लिम एकता को और मजबूत करने की ज़रूरत है, मदनी ने ये भी कहा कि एक बड़े समुदाय को नाराज़ कर देश को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता, इसके लिये दूसरे मुस्लिम संगठनों से भी बात करने की ज़रूरत है।
पिछले साल विज्ञान भवन में आरएसएस का तीन दिवसीय एक सेमीनार किया था जिसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मुस्लिम समुदाय से आरएसएस के बारे में भ्रांति दूर करने और आरएसएस के करीब आने की अपील की थी। आरएसएस हमेशा कहता रहा है कि हिंदुत्व का मतलब जीवन शैली है और जब हिन्दुत्व कहा जाता है तो इसका मतलब हिन्दू-मुसलमान दोनों होता है। आरएसएस के बारे में गलत धारणा को खत्म कर मुस्लिमों को आरएसएस से जुड़ना चाहिए। मदनी और भागवत की इस मुलाकात को इसी कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है। इसके अतिरिक्त राममंदिर मुद्दे से भी इस मुलाकात को जोड़ा जा रहा है।
नवम्बर में राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने को उम्मीद है। वही जम्मू-कश्मीर में भी धारा 370 की समाप्ति को लेकर सियासत गरमाई हुई है। हालांकि आरएसएस की तरफ से बार-बार मुस्लिम समुदाय में आरएसएस को लेकर शंकाओं को दूर करने की कोशिश की जाती रही है। मदनी के साथ हुई आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की मुलाकात को आगे भी जारी रखने की ज़िम्मेदारी संघ के सह सम्पर्क प्रमुख रामलाल को दी गयी है। हालांकि उन्होंने भी इस मुलाकात पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।