आज़मगढ़, यूपी
जिले में बीडीसी सुरेंद्र यादव की हत्या के बाद एक तरफ परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है तो दूसरी तरफ कई संगठनों से इस हत्याकांड के खिलाफ आवाज़ उठाई है। इस बीच रिहाई मंच के एक प्रतिनिधिमंडल ने दिवंगत सुरेंद्र यादव के आज़मगढ़ ज़िले के नवादा गांव का दौरा कर परिजनों से मुलाकात की। रिहाई मंच ने दलितों और पिछड़ों पर बढ़ते हमलों और हत्या की घटनाओं को फासीवादी–सामंती विस्तार बताया।
रिहाई मंच के प्रतिनिधिमण्डल में मसीहुद्दीन संजरी, सालिम दाउदी, विनोद यादव, उमेश कुमार, राहुल सिंह, अरविंद शामिल थे। परिजनों से मुलाकात के बाद जारी बयान में रिहाई मंच ने कहा कि सुरेंद्र यादव के परिजनों ने बताया कि कल रात करीब 9 बजे 36 वर्षीय सुरेंद्र यादव तेरहीं भोज से वापस लौट रहे थे। जैसे ही वे गांव से करीब चार सौ मीटर पर स्थित नवादा चौराहे पर पहुंचे। पहले से घात लगाए हत्यारों ने करीब से गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। गोली की आवाज़ सुनते ही कई लोग घटनास्थल की तरफ दौड़े, लेकिन उससे पहले ही तीन बाइक सवार हत्यारे बाइक छोड़कर फरार हो गए।
ग्रामीणों ने आज अपरान्ह पोस्टमार्टम से लाश के वापस आते ही हत्यारोपियों को तत्काल गिरफ्तार करने समेत पीड़ित परिवार को एक करोड़ रूपये मुआवज़ा, अनाथ बच्चों की मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था, विधवा पत्नी को भरण पोषण योग्य सरकारी नौकरी का मांग की। साथ ही परिवार वालों पर सुरक्षा खतरों को देखते हुए अविलंब शस्त्र लाइसेंस जारी करने की मांग की।
रिहाई मंच ने बयान में बताया कि मौके पर किसी बड़े प्रशासनिक अफसर के मौजूद न होने से आक्रोशित भीड़ लाश को लखनऊ बलिया मार्ग पर रखकर अपनी मांगों के समर्थन में धरना देने का प्रयास किया। बढ़ते जनदबाव को देखते हुए एडीएम ने मांगे स्वीकार किए जाने का आश्वासन देकर नवादा चौराहे वापस भेज दिया।
रिहाई मंच ने कहा कि प्रशासन घटना स्थल नवादा चौराहे पर भारी संख्या में पीएसी और आरएएफ के जवान तैनात कर गंभीरता दिखाने का प्रयास कर रहा है। दूसरी तरफ जिलाधिकारी या पुलिस कप्तान जैसे बड़े अधिकारियों में से कोई भी मौके पर नहीं पहुंचा। इसलिए इस सवाल उठता है कि एक जनप्रतिनिधि मार दिया जाता है और जिले का प्रशासन संवेदना प्रकट करना भी जरूरी नहीं समझता है।
रिहाई मंच ने कहा कि बांसगांव के दलित ग्राम प्रधान सत्यमेव जयते की चिता की आग अभी ठंढी भी नहीं हुई थी कि नवादा में दो बेटियों और एक बेटे के पिता 36 वर्षीय सुरेंद्र यादव की सामंतों द्वारा हत्या से वंचित समाज में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
रिहाई मंच के सदस्यों ने कहा कि मंच इंसाफ की लड़ाई के सवाल पर हर वक़्त पीड़ित परिवार के साथ खड़ा रहेगा। मंच ने कहा कि बढ़ते जातीय संघर्ष ने साफ कर दिया है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गई।