पटना, बिहार
मानवाधिकार और बेकसूरों के लिए काम करने वाली रिहाई मंच ने बिहार सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है। बिहार के नवादा से लौटकर रिहाई मंच ने कहा कि नवादा में नीतीश कुमार की पुलिस ने दंगों के दौरान मुसलमानों पर खूब ज़ुल्म किया। मंच ने खुद देखा कि किस तरह से लोगों के घरों में पुलिस ने लूटपाट की है और लोगों को मारा-पीटा। यहीं तक कि बच्चों और बुज़ुरगों को भी नहीं छोड़ा।
रिहाई मंच का एक प्रतिनिधि मंडल बिहार के नवादा ज़िले जांच के लिए गया था। दरअसल यहां रामनवमी के दिन फसाद हुआ था जिनमें पुलिस ने मुसलमानों पर तांडव किया था। मंछ के लोग जब बड़ी दरगाह मोहल्ले में पहुंचे तो देखा कि 5 अप्रैल की घटना के बाद टूटे हुए दरवाजे, अलमारी और बक्से कई हफ्ते बाद भी उसी तरह बिखरे पड़े हुए हैं। यहां को लोग अब भी दहशत में जी रहें हैं। इतने दिनों बाद भी नीतिश कुमार के शासन का कोई भी अधिकारी या मंत्री देखने तक नहीं पहुंचा। यहां पर पैंथर, बिहार पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों ने भागलपुर-गुजरात बना देने का नारा लगाते हुए न केवल पुरुषों को बल्कि महिलाओं और बच्चों पर भी बर्बरता पूर्वक हिंसा की। ऐसे मामले में गुजरात और भागलपुर के दंगाईयों को भी मात दे दिया।
नवादा का दंगा- साजिश
रिहाई मंच ने कहा कि 4 अप्रैल को रामनवमी के कथित पोस्टर फटने के बाद 2 बजे रात को यह झूठी खबर फैलाई गई। यहां बजरंग दल जैसे संगठनों के लोग जमा हो गए। मामला शांत होने के बाद भी सुबह 6 बजे स्थानीय सांसद और अपनी सांप्रदायिक टिप्पणियों से समाज को बांटने वाले केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की मौजूदगी में दंगा शुरु हुआ। उसके बाद पथराव, पुलिस द्वारा 14 राउंड फायर की गई और दुकानों को जलाया गया। मंच का कहना है कि इससे साबित होता है कि यह पूरी घटना पूर्व नियोजित साजिश थी।
मुसलमानों ने की थी कार्रवाई की मांग
कथित पोस्टर फटने की घटना के बाद मुसलमानों के पुलिस से कार्रवाई की मांग की थी। वहीं दूसरी तरफ रामनवमी के झंडे -पोस्टरों के नाम पर बीजेपी और बजरंग दल जैसे संगठन हिंसात्मक कार्रवाई कर रहे हैं। इसके बाद 5 अप्रैल को नया पुल पर डीएम और एसपी की उपस्थित में बड़ी दरगाह, शरीफ कलोनी, इस्लामनगर, मुस्लिम रोड, सेखावत बाग, कुरैशी मोहल्ला, सदभावना चौक इलाकों में 2 बजे से 6 बजे तक पुलिस बल द्वारा आक्रमकता के साथ भागलपुर और गुजरात बना देने के नारे लगाते हुए हमले किये गए। ये बात साफ ज़ाहिर है कि यह पूरी सांप्रदायिक घटना पूर्व नियोजित थी जिसमें दंगाई की भूमिका स्वयं राज्य मशीनरी निभाने का काम कर रही थी।
मुस्लिम एमएलसी को भी नहीं बख्शा
रिहाई मंच ने कहा कि गुजरात में दंगाइयों ने एहसान जाफरी के घर पर हमला करके मार डाला लेकिन नवादा में तो बिहार पुलिस ने जदयू एमएलसी सलमान रागिब के घर और स्थानीय पार्षद के घर हमला किया। जो बताता है कि नीतीश बाबू के सुशासन का क्या हाल है। पिछले दिनों छपरा में राजद के मुस्लिम ज़िलाध्यक्ष की दुकान को सांप्रदायिक तत्वों जला डाला।
नाबालिग को किया गिरफ्तार
रिहाई मंच ने गंभीर आरोप लगया है कि पांच नाबालिग लडकों मुहम्मद साजिद, आसिफ रज़ा, आरिफ रज़ा, नाजिश खान और फरहान अली कैफ को गिरफ्तार किया गया। जिसमें से पांचवी कक्षा के आरिफ रजा जो ज़मानत पे छूटे है से प्रतिनिधि मंडल की मुलाकात हुई। आरिफ ने बताया कि उनको बाल सुधार गृह में न रखकर जेल में रखा गया था, अपने जिस्म पर की चोटों को दिखाते हुए उस दिन की बर्बर घटना पर वे रो पड़े हैं।
बुज़ुर्गों को पीटा गया
80 वर्षीय बुजुर्ग महिला सकीना का सर मार कर फोड दिया गया। उनकी न तो एफआइआर दर्ज हुई और ना ही इलाज हुआ। वही तब्बसुम जैसे महिलाओं का जेवर और मोबाईल छीन लिया गया। तब्बसुम ने बताया कि इस पूरी घटना मे पुलिस बलों ने बहुत लूटपाट और तोड़फोड़ की। प्रतिनिधि मंडल ने पाया कि नवादा घटना में पुलिस जिस तरह से मुस्लिम समुदाय के लोगों को निशाना बनाया वह हाशिमपुरा की याद दिलाता है।
नीतीश कुमार चुप क्यों
नवादा में 2013 के बाद जिस तरह से सांप्रदायिक हिंसा हुई उससे साफ हो गया है कि बिहार में गिरिराज सिंह के नेतृत्व में बीजेपी सांप्रदायिकता की आग लगाने पर उतारू है। नीतिश सरकार उसको संरक्षण दे रही है। यूपी में सपा-बसपा ने आदित्यनाथ योगी को मुख्यमंत्री बनने का मौका दिया ठीक उसी तरह नीतिश-लालू मुसलमानों को पाकिस्तान भेजने की धमकी देने वाले गिरिराज सिंह को ऐसा मौका देना चाहते हैं।
रिहाई मंच की मांग
रिहाई मंच के प्रतिनिधि मंडल ने खुद को सेक्युलर कहने वाले नीतीश कुमार से इस पूरे घटनाक्रम की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। मंच का कहना है कि बिहार सरकार तत्काल दोषी पुलिस कर्मियों और केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करे। मंच जल्द ही इस पूरे घटनाक्रम पर अपनी विस्तृत रिपोर्ट लायेगा।
किसने दौरा किया
प्रतिनिधि मंडल में रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव, लेख़क पत्रकार शरद जायसवाल, पटना हाई कोर्ट अधिवक्ता अभिषेक आनंद, सामाजिक कार्यकर्ता गुंजन सिंह, समाज वैज्ञानिक डॉ राजकुमार, रिहाई मंच नेता लक्ष्मण प्रसाद और रिहाई मंच प्रवक्ता अनिल यादव शामिल रहे। प्रतिनिधि मंडल के साथ इंसाफ इंडिया के अध्यक्ष मुस्तकीम सिद्दीकी, नौशाद मलिक, सुल्तान कारी भी शामिल थे।