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21 Nov 2024, Thu

पीएम मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य का बड़ा बयान, भारत की अर्थव्यवस्था गहरे संकट की ओर…

rathin roy says on indian economy

नई दिल्ली:
चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सरकार की आर्थिक कामयाबियों का बखान करते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य रथिन रॉय ने एनडीटीवी को बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था गहरे संकट की ओर जा रही है. उनके हिसाब से भारत भी ब्राज़ील और दक्षिण अफ़्रीक़ा जैसे धीमी गति के विकासशील देशों की राह पर चल पड़ा है और डर है कि आर्थिक मंदी उसे घेर लेगी.रॉय का यह बयान ऐसे वक्त पर आया है,
जब देश की अर्थव्यवस्था की सुस्ती पर सवाल उठने शुरू हुए हैं. वित्त मंत्रालय की मार्च 2019 की मासिक आर्थिक रिपोर्ट में भी यह बात कही गई थी कि भारत की अर्थव्यवस्था 2018-19 में थोड़ी धीमी हो गई. मंदी के लिए जिम्मेदार अनुमानित कारकों में निजी खपत में गिरावट, निश्चित निवेश में मामूली वृद्धि और मौन निर्यात शामिल है. रथिन रॉय ने आगाह करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम बहुत गहरा है.

उन्होंने कहा- हम एक संरचनात्मक मंदी की ओर बढ़ रहे हैं. यह एक प्रारंभिक चेतावनी है. 1991 के बाद से अर्थव्यवस्था निर्यात के आधार पर नहीं बढ़ रही है. बल्कि भारत की शीर्ष सौ मिलियन(10 करोड़) जनसंख्या के उपभोग पर. उन्होंने कहा कि भारत के दस करोड़ उपभोक्ता देश की विकास गाथा को सशक्त कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इसका मतलब संक्षेप में हम दक्षिण कोरिया नहीं होंगे, हम चीन नहीं रहेंगे, हम ब्राजील की तरह बनेंगे. हम दक्षिण अफ्रीका होंगे. उन्होंने कहा कि दुनिया के इतिहास में देश मध्य आय के जाल से बचते रहे हैं, मगर जो एक बार फंसा तो फिर वह उबर नहीं सका है.

जेएम फाइनेंशियल ने कहा है, “हमने ऑटो सेक्टर के लिए पहले ही अपने अनुमान में कटौती की है और खाद्य पदार्थों की आय में कटौती देख रहे हैं. हमारी राय में वित्त वर्ष 2020 में विशुद्ध ग्रामीण क्षेत्र का प्रदर्शन मंद रहेगा.” सर्वेक्षण रपट में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्र की विकार दर वर्तमान में 13 में 10 राज्यों मे पिछले साल सितंबर के मुकाबले सुस्त है.
रपट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि ग्रामीण क्षेत्र की आय सुस्त बिक्री और गैर-कृषि आय कम होने से प्रभावित हुई है.कृषि आय की चुनौतियों के कारण ग्रामीण मांग में सुस्ती अब व्यापक हो गई है, जोकि पहले पश्चिमी क्षेत्रों में थी. इसकी मुख्य वजह यह है कि फसल की कीमतें घटती जा रही हैं