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17 Oct 2024, Thu

कुंबे के साथ सपा छोड़ बीएसपी में शामिल हुए रशीद मसूद

सहारनपुर, यूपी

पूर्व सांसद और केन्द्रीय मंत्री काजी रशीद मसूद ने अपने परिवारवालों और समर्थकों के साथ बीएसपी में शामिल हो गए। उन्हें बीएसपी जोन कोआर्डिनेटर ने झंडा देकर उनके पार्टी में शामिल होने का ऐलान किया। जोन कोआर्डिनेटर ने दावा किया कि उनके आने से पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलित-मुस्लिम गठबंधन और अधिक मजबूत होगा। नौ बार सांसद रहे काजी रशीद मसूद और पूर्व लोकसभा प्रत्याशी और उनके बेटे शाजान मसूद, उनके पोते और पूर्व राज्यमंत्री शायान मसूद ने भी अपने समर्थकों के साथ बसपा की सदस्यता ग्रहण की।

शहर के जनमंच सभागार में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित किया गया था। इसमें काजी रशीद मसूद ने अपना शक्ति प्रदर्शन किया और बड़ी संख्या में अपने समर्थकों को जुटाकर अपनी ताकत का एहसास कराया। बीएसपी के जोन इंचार्ज सुनील चित्तौड़ और शम्सुद्दीन राईन ने जैसे ही उनके समर्थकों सहित बीएशपी में आने की घोषणा करते हुए उन्हें बीएसपी का झंडा दिया पूरा सभागार नारों से गूंज उठा।

काजी रशीद मसूद ने कहा कि बीजेपी को रोकने के लिए बीएसपी ही एकमात्र विकल्प है जो बीजेपी को मात दे सकती है। मुस्लिमों ने इस विधानसभा चुनाव में सपा का पूरा साथ दिया लेकिन वह सिर्फ 45 सीटों पर ही सिमट गई। यदि मुस्लिम एकजुट होकर बीएसपी के साथ आ जाते हैं तो फिर बीएशपी को सत्ता में आने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि अब वह पार्टी के लिए काम करेंगे।

काजी शादान मसूद ने कहा कि मुस्लिम दलित गठजोड़ मौजूदा राजनीतिक समय में जरूरत बन गया है। अब मुसलमान केवल सपा के भरोसे नहीं रह सकता। उन्होंने अपने समर्थकों से अपील करते हुए कहा कि वह बीएसपी को मजबूत करने के लिए एकजुट होकर काम करें और आने वाला समय बीएसपी का ही है। जोन इंचार्ज सुनील चित्तौड़ ने कहा कि प्रदेश में बीजेपी की नहीं ईवीएम की सरकार राज कर रही है। ईवीएम में गड़बड़ी कर ही बीजेपी राज कर रही है। उन्होंने कहा कि काजी रशीद मसूद के बीएसपी में आने से क्षेत्र में पार्टी अधिक मजबूत होगी।

बीएसपी में क्यों आए रशीद मसूद
काजी रशीद मसूद और उनके समर्थकों के बीएसपी में आने के बाद अब निशाने पर निकाय चुनाव है। इस चुनाव में ही काजी रशीद मसूद की सियासी ताकत की भी परीक्षा होनी है। बीएसपी पहली बार अपने सिंबल पर निकाय चुनाव में उतरने जा रही है। काजी रशीद मसूद को अपने साथ लेकर मंसूबों को साफ कर दिया है कि वह दलित-मुस्लिम गठजोड़ को और अधिक मजबूत कर रही है।

कौन रहा मौजूद
बीएसपी के जोन इंचार्ज नरेश गौतम, पूर्व विधायक रविन्द्र मोल्हू, जगपाल सिंह, एमएलसी महम्मूद अली, महिपाल सिंह माजरा मौजूद रहे। वहीं तीतरों के चेयरमैन अरविन्द चौधरी, सरसावा के चेयरमैन वजीर मलिक, सपा छात्रसभा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लोकेश भाटी, डीसीडीएफ के डायरेक्टर शैलेश प्रधान, हाजी तौसीफ मलिक, पूर्व चेयरमैन शराफत खान, तैमूर खान, फहाद अली खान, बुंदू हसन, यामीन, परवेज पप्पू, बबलू जैदी, अमजद, तंजीम, डा. फिरोज, मो. नौमान, शमशाद, इंकराम अंबोली, शहान अहमद, सालिम प्रधान, शदाकत, काला प्रधान, समयदीन प्रधान समेत कई लोग मौजूद रहे।

काजी रशीद मसूद का राजनीतिक सफर
काजी रशीद मसूद छह बार लोकसभा और तीन बार राज्यसभा सांसद रहे। 2007 में उपराष्ट्रपति पद के लिए तीसरे मोर्चे के प्रत्याशी रहे और 75 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे। रशीद मसूद पहले ऐसे जनप्रतिनिधि जिनकी राज्य सभा की सदस्यता अदालत से दोषी ठहराये जाने के बाद गई। भारतीय लोकदल से राजनीति की शुरुआत करने के बाद वह जनता पार्टी, भारतीय किसान कामगार पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और फिर सपा में रह चुके हैं और उन्होंने अपनी राष्ट्रीय एकता पार्टी भी बनायी थी। उनके पुत्र शाजान मसूद 2014 में सपा के टिकट पर सहारनपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं।