जौनपुर, यूपी
ज़िले के शाहगंज कोतवाली में एक यूवक की पिटाई का वीडियों वायरल हो रहा है। दरअसल ये यूवक अपनी पत्नी के साथ हुए बलात्कार के प्रयास का रिपोर्टॉ लिखाने कोतवाली गया था। इसके बाद वहां मौजूद दारोगा और पुलिस कर्मियों ने पीड़ित की जमकर पिटाई की। इस बीच किसी ने वीडियों बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।
क्या है मामला
शाहगंज कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में गत 13 अगस्त की रात घर में घुसकर एक महिला से दुराचार का मामला सामने आया है। पीड़ित के मुताबिक बीते 13 अगस्त की रात आरोपित युवक ने उसके घर में घुसकर उसकी पत्नी के साथ दुष्कर्म का प्रयास किया। पीडि़ता ने कोतवाली में सूचना दी। पुलिस आरोपित को पकड़कर लाई, लेकिन बाद में बिना कोई कार्रवाई किए छोड़ दिया।
कोतवाली में हुई पिटाई
इसके बाद महिला का पति घटना की तहरीर लेकर जब वह कोतवाली गया तो आरोपित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करने के बजाय पुलिसकर्मियों ने उसकी तहरीर फाड़कर फेंक दी और कोतवाली में उसकी जमकर पिटाई भी की। इस मामले में पीड़ित पति ने पुलिस अधीक्षक सहित अन्य अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को प्रार्थना पत्र भेजकर पूरे प्रकरण की जानकारी दी। उधर, कोतवाली में पिटाई का वीडियो मंगलवार को सोशल मीडिया में वायरल हो गया।
उच्च अधिकारियों के दबाव में दर्ज हुआ मुकदमा
पीड़ित द्वारा उच्च अधिकारियों को भेजे गए प्रार्थना पत्र के बाद ज़िले के पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार के हस्तक्षेप पर मंगलवार को घटना के 12 दिन बाद मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया।
वीडिया वायरल होने पर हुई कार्रवाई
पीड़ित की पिटाई का वीडियों वायरल होने के बाद मामले का संज्ञान लेते हुए एसपी ने बुधवार को आरोपित पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की। इस मामले में शाहगंज कोतवाली में तैनात एसएसआइ अनिल कुमार मिश्र, बीवीगंज पुलिस चौकी प्रभारी सुनील कुमार व सिपाही शेषनाथ विश्वकर्मा को निलंबित कर दिया हैं।
सीओ करेंगे मामले की जांच
पहले उच्चाधिकारियों के हस्तक्षेप पर मुकदमा दर्ज किया गया। वीडियो वायरल होने के बाद आरोपी सिपाही समेत दो दरोगाओं के निलंबित किया गया। अब इस मामले की जांच सीओ शाहगंज जितेंद्र कुमार दुबे को सौंप दी है। देखना ये है कि जांच में किसी दोषी माना जाता है।
कोतवाली में सुरक्षित नही पीड़ित!
जिन पुलिस कर्मियों के ऊपर आम लोगों और पीड़ितों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी है और वो पुविल कर्मी कोतवाली में अंदर पीड़ित की पिटाई करें तो आम लोग सुरक्षा और इंसाफ के लिए किसका दरवाज़ा खटखटाएंगे। भले ही ज़िले के एसपी ने इस मामले में निलंबन की कार्रवाई की है पर जब तक ऐसे पुलिस कर्मियों को नोकरी से बाहर निकाल कर बड़ी कार्रवाई नहीं की जाती तब तक ऐसे हरकत को रोका नहीं जा सकता।