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17 Oct 2024, Thu

बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर अलग रुख अख्तियार करती नजर आ रही है। एलजेपी नेता और सांसद राम विलास पासवान ने कहा है कि धर्म के आधार पर कोई सरकार किसी की नागरिकता नहीं छीन सकती। बता दें, पूरे देश में सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है और सभी विपक्षी दलों ने इसका एक सुर में विरोध किया है। अब बीजेपी की सहयोगी पार्टी एलजेपी भी इसके खिलाफ उतरती नजर आ रही है।

एनआरसी पर बात नहीं हुई
एलजेपी नेता रामविलास पासवान ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, चाहे दलित, आदिवासी, पिछड़े, अल्पसंख्यक या उगड़ी जाति के लोग हों, वे सभी देश के असली नागरिक हैं। नागरिकता उनका जन्म सिद्ध अधिकार है। कोई सरकार इसे नहीं छीन सकती। किसी भारतीय को बेवजह इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है। पासवान ने कहा, जहां तक राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की बात है तो अभी तक इस पर कोई बात नहीं हुई है। इसका किसी मजहब से लेना देना नहीं है। इसके आधार पर किसी की नागरिकता नहीं ली जा सकती।

कोई उंगली नहीं उठा सकता
एलजेपी नेता रामविलास पासवान ने कहा, ‘सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता मेरा और मेरी पार्टी का मिशन है। मैंने जीवनभर दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया है।’ उन्होंने कहा, ‘कोई भी सरकार नागरिकता तो दूर रही, इनके अधिकार पर उंगली नहीं उठा सकती है।’ पासवान ने ट्वीट कर कहा, ‘नागरिकता (संशोधन) अधिनयम, 2019 को लेकर पूरे देश में सुनियोजित तरीके से भ्रम फैलाया जा रहा है।प्रधानमंत्री ने बार-बार कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून नागरिकता देने के लिए है, नागरिकता छीनने के लिए नहीं है।’

रामविलास पासवान ने कहा, मुसलमानों को इस कानून (सीएए) के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि भारतीय नागरिकता से इसका कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा, 2003 में सीएए में संशोधन किया गया जिसमें एनआरसी जोड़ा गया। 2004 में यूपीए की सरकार बनी जो इसे वापस ले सकती थी लेकिन इसे वापस लेने की बजाय 7 मई 2010 को लोकसभा में तत्कालीन गृहमंत्री पी। चिदंबरम ने कहा था-यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का हिस्सा होगा।

By #AARECH