नई दिल्ली ।
असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) में 40 लाख से अधिक लोगों के नाम नहीं होने के मुद्दे पर आज मंगलवार को राज्यसभा में जबरदस्त हंगामा हुआ जिसके कारण सदन की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। इससे पहले शोर-शराबे के कारण शून्यकाल नहीं हो सका जबकि प्रश्नकाल के दौरान एनआरसी पर चर्चा की गयी।
शून्यकाल के दौरान के स्थगन के बाद सभापति एम. वेंकैया नायडु ने प्रश्नकाल शुरू करने का प्रयास किया तो सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि असम में एनआरसी का मामला राष्ट्रीय महत्व का है और मानवाधिकारों से जुड़ा है। इसलिए, इस पर तुरंत चर्चा कराई जानी चाहिए। संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने इससे सहमति व्यक्त की। इसके बाद सदन में इस मुद्दे पर एक घंटे की चर्चा की गई।
चर्चा में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समेत सभी दलों ने हिस्सा लिया। सदस्यों ने इस मुद्दे को संवेदनशील और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ बताया और सरकार से इससे ध्यानपूर्वक तथा सतर्कता से निपटने की अपील की। चर्चा के अंतिम दौर में भाजपा के अमित शाह ने कहा कि असम समझौते को अमल लाने की हिम्मत कांग्रेस में नहीं थी और भाजपा इसे लागू कर रही है। इसके बाद कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य जोर-जोर से बोलने लगे। शोर-शराबे के बीच अमित शाह ने अपना वक्तव्य पूरा किया।
इसके बाद सभापति ने चर्चा का जवाब देने के लिए गृहमंत्री राजनाथ सिंह का नाम पुकारा तो तृणमूल कांग्रेस के सदस्य ज़ोर-ज़ोर से बोलने लगे। तृणमूल कांग्रेस के सदस्य नारे लगाते हुए सभापति के आसन के समक्ष आ गये। इसके उपरांत सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए दोपहर बाद 1.10 बजे तक स्थगित कर दी गयी।
दुबारा कार्यवाही शुरू होने के बाद भी सदन के हालात नहीं बदले और तृणमूल कांग्रेस तथा कांग्रेस के सदस्य सभापति के आसन के समक्ष नारे लगाते हुए हंगामा करते रहे। सभापति नायडु ने सदस्यों से अपने-अपने स्थान पर लौटने की अपील की लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने सदन की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी।