नई दिल्ली
कोरोना संकट आने पर देश में लॉकडाउन की वजह से इकोनॉमी को बड़ा नुकसान हुआ है। एक तरफ केंद्र सरकार इकोनॉमी के सुधार को लेकर लगातार मंथन कर रही है, वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के नेता राहुल गांधी लगातार अर्थव्यवस्था से जुड़े लोगों से सीधे संपर्क करके समझने की कोशिश कर रहे हैं। राहुल गांधी अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञों से बातचीत करते नज़र आ रहे हैं। इसी कड़ी के तहत राहुल गांधी ने बजाज ऑटो के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव बजाज से बात की है। इस बातचीत के दौरान राजीव बजाज ने देश के माहौल पर बड़ा बयान दिया है।
उद्योगपति राजीव बजाज ने कहा कि हमारे यहां 100 लोग बोलने से डरते हैं, जबकि उनमें से 90 के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं होता। मेरे पिता की तरह बोलने का जोखिम बहुत कम लोग उठा पाते हैं। उन्होंने ये कहा कि उद्योगपति भी दूध के धुले नहीं हैं लेकिन सभी एक जैसे नहीं होते हैं।
दरअसल इससे पहले राहुल बजाज ने पॉलिसी को लेकर केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना कर चुके हैं। पिछले साल एक कार्यक्रम में उद्योगपति राहुल बजाज ने गृह मंत्री अमित शाह को कहा था कि इस वक्त देश में लोगों के बीच खौफ का माहौल है। लोगों को ये विश्वास नहीं है कि उनकी आलोचना को सरकार में किस तरह लिया जाएगा।
केंद्र सरकार द्वारा एलान किए गए 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज के संदर्भ में राजीव बजाज ने कहा कि हम यहां पैकेज की नहीं सिर्फ प्रोत्साहन की बात कर रहे है, जबकि दूसरे देशों में पैकेज दिया जाता है। कई लोग पूछते हैं कि भारत ने आम लोगों को सीधा सहयोग क्यों नहीं दिया। लॉकडाउन पर राजीव बजाज ने कहा कि आम आदमी के नज़रिए से यह काफी कठिन है, क्योंकि भारत जैसा लॉकडाउन कहीं पर भी नहीं हुआ। आज हर कोई बीच का रास्ता निकालना चाहता है, भारत ने सिर्फ पश्चिम को नहीं देखा, बल्कि उससे आगे निकलकर कठिन लॉकडाउन लागू किया।
राजीव बजाज ने कहा कि दुनिया के कई देशों में बाहर निकलने की अनुमति थी, लेकिन हमारे यहां स्थिति अलग रही। कमजोर लॉकडाउन से वायरस रहता है और सख्त लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था बिगड़ गई। हम इन दोनों के बीच फंस गए हैं। हमें जापान और स्वीडन की तरह नीति अपनानी चाहिए थी। वहां पर नियमों का पालन हो रहा है, लेकिन लोगों के लिए जीवन को मुश्किल नहीं बनाया जा रहा है।
राजीव बजाज ने कहा कि मजदूरों को अगर 6 महीने तक ही पैसा दिया जाए तो मार्केट में डिमांड बढ़ेगी। कंपनियों को भी स्पेशलिस्ट बनना होगा। हम लोग विचारों से काफी खुले हैं। भारत को अपने विचारों का खुलापन नहीं खोना चाहिए। राजीव बजाज ने कोरोना को लेकर कहा कि अपने यहां फैक्ट और सच्चाई के मामले में कमी रह गई है, लोगों को लगता है कि ये बीमारी एक कैंसर जैसी है। अब जरूरत है कि लोगों की सोच को बदला जाए और जीवन को आम पटरी पर लाया जा सके। लेकिन इसमें एक लंबा वक्त लग सकता है।