बस्ती, यूपी
ऐसे समय में जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संक्रमण की सामना कर रही है। कोरोना वायरस से संक्रमित हजारों लोग रोज मर रहे हैं। भारत भी अब इससे अछूता नहीं रहा है। देश में अबतक 3 हजार से अधिक लोगों के कोरोना से संक्रमित होने की खबर है। करीब 110 लोगों की मौत हो चुकी है। संकट के इस समय में भी भारत का में छुआछूत की बीमारी रुकने का नाम नहीं ले रही है।
हम यहां बात कर रहे हैं, देश में जाति के नाम पर होने वाली छुआछूत के बारे में। खबरो के मुताबिक ताजा मामला सामने आया है उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में। बस्ती जिले के सिसवा बरुआर के प्राथमिक विद्यालय में प्रशासन ने कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए बाहर से आने वाले लोगों के लिए क्वारंटीन सेंटर बनाया है।
इस क्वारंटीन सेंटर में रखे गए लोगों के खाने-पीने की भी व्यवस्था सरकार की ओर से की गई है। खाना बनाने का काम अनुसूचित जाती की एक रसोइया करती है। इस सेंटर में रखे गए लोगों को जब यह पता चला कि खाना बनाने वाली रसोइया अनुसूचित जाति की है तो उन्होंने खाना खाने से इनकार कर दिया।
इसकी जानकारी होने पर वहां के प्रधान के प्रतिनिधि ने उन्हें काफी समझाया-बुझाया। लेकिन वो नहीं माने और खाना नहीं खाने की जिद पर अड़े रहे। इसके बाद प्रधान के प्रतिनिधि ने इसकी सूचना सोनहा पुलिस को दी और कार्रवाई की मांग की।
इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने क्वारंटीन में रखे गए लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 188 और 269 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस ने इस मामले में अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराएं नहीं लगाई हैं।
इस शिकायत के बाद सिसवा बरुआर के प्राथमिक विद्यालय के क्वारंटीन सेंटर में रखे गए लोगों को वहां से हटाकर सावित्री विद्या मंदिर में बने क्वारंटीन सेंटर में भेज दिया गया है।