Breaking
22 Dec 2024, Sun

कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में होगा विलय

लखनऊ, यूपी

यूपी में विधान सभा चुनाव 2017 में होने हैं लेकिन राजनीति का सियासी पारा अभी से चढ़ गया है। पूर्वांचल में कमज़ोर हो रही सपा को कौमी एकता दल का सहारा मिलने वाला है। पूर्व सांसद अफज़ाल अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय होने वाला है। इस विलय के बाद पूर्वांचल में नया राजनीतिक गतिण देखने को मिल सकता है। पुर्वांचल में फिलहाल मज़बूत बीएसपी के लिए ये खबर परेशान करने वाली है।

कौमी एकता दल के विधानसभा में दो विधायक हैं। मऊ से मुख्तार अंसारी और मोहम्मदाबाद से सिगातुल्लाह अंसारी ने चुनाव में जीत हासिल की थी। मुख्तार अंसारी फिलहाल जेल में बंद हैं। पार्टी अध्यक्ष अफज़ाल अंसारी ने चुनावी नफे-नुकसान को देखते हुए सपा का विलय करने का ऑफर मंजूर कर लिया है।

सपा कार्यालय में होगा विलय कार्यक्रम
कौमी एकता दल का सपा में विलय का कार्यक्रम सपा के लखनऊ कार्यालय में होगा। ये कार्यक्रम दिन में 10 बजे होगा। कार्यक्रम में सपा मुखिया मुलयाम सिंह यादव शामिल हो सकते हैं। दोनों दलों की विलय पर एक महत्वपूर्ण बैठक आज शाम को होनी है, जिसमें विलय से संबंधित बातों पर गौर किया जाएगा। कौमी एकता दल से जुड़े लोगों का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष ने बिना शर्त विलय का फैसला किया है। पार्टी अध्यक्ष का ये भी मामना है कि कौमी एकता दल से जुड़े लोगों को सपा में सम्मान मिलेगा।

विलय पर कब शुरु हुई बातचीत
कौमी एकता दल से जुड़े लोगों का कहना है कि करीब एक साल से ये बातचीत चल रही थी।पार्टी ने दोनों विधायकों ने राज्य सभा और विधान परिषद के चुनाव में हमेशा सपा के पक्ष में मतदान किया। विधान परिषद के चुनाव में गाज़ीपुर में सपा उम्मीदवार की हार हुई थी और कौमी एकता दल समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार चंचल सिंह ने चुनाव जीता था। उसके बाद दोनों पार्टीयों की बातचीत रुक गई थी। अभी हाल में राज्य सभा और विधान परिषद के चुनाव में कौमी एकता दल के दोनों विधायकों ने बिना किसी शर्त के सपा के पक्ष में मतदान किया। इसके बाद सपा को लगा कि पार्टी में विलय से फायदा होगा। यहीं वजह रही कि बात आगे बढ़ी और विलय का फैसला हो गया।

किसे होगा फायदा
जानकार बताते हैं कि पूर्वांचल के कई ज़िले में मुख्तार अंसारी का अपना एक वोट बैंक हैं। गाज़ीपुर, चंदौली, वाराणसी, मऊ के साथ-साथ आज़मगढ़, जौनपुर में भी कौमी एकता दल का प्रभाव है। इन ज़िलों की कम से कम 25 सीटों पर कौमी एकता दल का अचछा खासा प्रभाव है। कौमी एकता दल का सपा से विलय के बाद इसका सीधा फायदा सपा को होगा। इसके बदले सपा कम से कम 5 सीटों पर कौमी एकता दल से जुड़े लोगों को टिकट दे सकती है। वहीं मऊ में पार्टी मुख्तार अंसारी के खिलाफ किसी को उम्मीदवार न बनाने की घोषणा कर सकती है।

मुख्तार अंसारी से रहेगी दूरी
पर्वांचल के बाहूबली माफिया और मऊ से कौमी एकता दल के विधायक मुख्तार अंसारी को समाजवादी पार्टी में शामिल नहीं होंगे। वह बाहर से ही समर्थन देंगे। दरअसल सपा की रणनीति है कि मुख्तार अंसारी को पार्टी में शामिल करने से विपक्षी दल हमलावर होगा और उसे जवाब देना महंगा पड़ सकता है। यहीं वजह है कि पार्टी के विलय के बाद मुख्तार अंसारी मऊ से निर्दलीय ही चुनाव लड़ेंगे। सपा उनका समर्थन करेगी।