नई दिल्ली
महात्मा गौतम बुद्ध को लेकर भारत-नेपाल के बीच विवाद छिड़ गया है। भारतीय विदेश मंत्री के महात्मा बुद्ध के भारतीय होने के बयान के बाद नेपाल में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। इसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने जवाब दिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नेपाल को जवाब देते हुए कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि बुद्ध का जन्म लुम्बिनी में हुआ था और वह स्थान नेपाल में है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार 8 अगस्त को सीआईआई शिखर सम्मेलन में ऑनलाइन वार्ता के दौरान भगवान बुद्ध को भारतीय कहा था। सीआईआई के कार्यक्रम में जयशंकर ने भारत की विदेश नीति के बारे में कहा था कि देश उचित एवं समानता वाली दुनिया के लिए प्रयास करेगा क्योंकि अंतरराष्ट्रीय नियमों और मानकों की वकालत नहीं करने से ”जंगल राज” हो सकता है. उन्होंने कहा था कि अगर हम कानून एवं मानकों पर आधारित विश्व की वकालत नहीं करेंगे तो निश्चित रूप से “जंगल का कानून” होगा. विदेश मंत्री ने कहा था कि दो “सबसे महान भारतीय” भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी के संदेशों को अब भी पूरी दुनिया में मान्यता मिलती है.
नेपाल ने जताई आपत्ति
विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान के बाद नेपाल के विदेश मंत्रालय ने आपत्ति जताई थी। नेपाल के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की ओर से जारी एक बयान में कहा गया था, “ऐतिहासिक और पुरातात्विक साक्ष्यों से यह तथ्य स्थापित और निर्विवाद तौर पर साबित हुआ है कि गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था। बुद्ध का जन्मस्थान और बौद्ध धर्म का उत्पति केंद्र लुम्बिनी यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में से एक है।
नेपाल में विरोध प्रदर्शन
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के इस बयान के बाद नेपाल में हंगामा मच गया था। नेपाल की मुख्य विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस सहित कई राजनीतिक दलों ने देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था। नेपाल विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने 2014 के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेपाल दौरे का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने नेपाल की संसद को संबोधित करते हुए कहा था कि नेपाल वह देश है, जहां दुनिया के शांति के दूत बुद्ध ने जन्म लिया था।