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22 Dec 2024, Sun

संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन जारी है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट के वकीलों ने अनोखे अंदाज़ में इसके खिलाफ़ विरोध दर्ज किया।

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट परिसर में तकरीबन 50 वकीलों के एक समूह ने एक जगह जमा होकर संविधान की प्रस्तावना पढ़ी। वकीलों द्वारा संविधान की प्रस्तावना पढ़े जाने का उद्देश्य संविधान के मूल्यों और सिद्धांतों को याद कराना है। वकीलों के मुताबिक, मोदी सरकार द्वारा लाया गया नागरिकता कानून संविधान के मूल्यों और सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है।

परिसर में प्रस्तावना पढ़ने वाले वकीलों में वरिष्ठ अधिवक्ता कामिनी जायसवाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद, संजय पारिख और प्रशांत भूषण शामिल रहे। वकीलों ने नागरिकता कानून के विरोध में संविधान की प्रस्तावना तो पढ़ी, लेकिन किसी तरह की कोई नारेबाज़ी नहीं की।

बता दें कि प्रस्तावना पढ़ने वाले वकीलों में शामिल प्रशांत भूषण लगातार नागरिकता कानून के विरोध में आवाज़ बुलंद कर रहे हैं। इससे पहले वह कानून के विरोध में सड़कों पर किए गए कई शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में भी शामिल हो चुके हैं। प्रशांत भूषण के मुताबिक नागरिकता कानून को धर्म के आधार पर बनाया गया है, जो संविधान के मूल्यों का सीधे तौर पर उल्लंघन है। उनका कहना है कि भारत जैसे धर्मनिर्पेक्ष देश में ऐसे पक्षपातपूर्ण कानून को लागू नहीं किया जा सकता।

By #AARECH