लखनऊ, यूपी
पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अय्यूब की ज़मानत याचिका रद्द कर दी गई। ये फैसला लखनऊ की सत्र अदालत ने किया। लखनऊ की सत्र अदालत की एडीजे नीतू पाठक ने बुधवार को डॉ अय्यूब की ज़मानत अर्ज़ी रद्द करते हुए कहा कि प्रथम दृष्या में डॉ अय्यूब पर मामला संगीन बनता है। डॉ अय्यूब पर नौकरी का झांसा देकर एक युवती से दुराचार करने व जानमाल की धमकी देने का आरोप है। फिलहाल वो जेल में बंद है।
इस मामले में सरकारी वकील डी सी यादव ने डॉ अय्यूब की ज़मानत अर्ज़ी का विरोध किया। उन्होंने कहा कि डॉ अय्यूब राजनीतिक और प्रभावशाली व्यक्ति हैं। अगर उन्हें ज़मानत दी जाती है तो वह अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके सबूतों को नष्ट कर सकते हैं और गवाहों को धमका सकते हैं। सरकारी वकील ने कहा कि ज़मानत मिलने पर डॉ अय्यूब अपने प्रभाव का गलत इस्तेमाल करेंगे।
मालूम हो कि 25 फरवरी 2017 को मड़ियांव थाने में रिपोर्ट दर्ज़ कराई थी कि साल 2012 के विधान सभा चुनाव के दौरान डॉ अय्यूब वादी के घर आए थे। इस दौरान वादी की बहन को अपने प्रचार के लिए साथ ले गए। उन्होंने कहा कि हम तुम्हें पढ़ने के लिए लखनऊ ले जाएंगे और साथ ही नौकरी भी देंगे। डॉ अय्यूब पर मृतक पीड़िता से जबरन शारीरिक संबंध बनाने का आरोप है।
डॉ अय्यूब पर ये भी आरोप है कि उन्होंने मृतक पीड़िता के पेट में दर्द होने पर ऐसी दवाएं दी, जिससे पीड़िता की किडनी और लीवर खराब हो गया। पीड़िता ने ये बातें अपने परिवार वालों को बताई। 24 फरवरी 2017 की रात पीड़िता की लखनऊ के एक अस्पताल में मृत्यु हो गई। कोर्ट ने आरोपी के अपराध को गंभीर मानते हुए ज़मानत अर्जी खारिज़ कर दी।