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20 Oct 2024, Sun

प्रतापगढ़ वहशियाना कत्ल: मरहूम राबिया… हम शर्मिंदा हैं

AKRAM BALRAMPURI ON RABIYA MURDERED 1 070218

शायर अकरम बलरामपूरी की फेसबुक वाल से

लखनऊ, यूपी

बड़े वकीलों का आपस मे मशवरा है यह..
किसी गरीब को इंसाफ क्या दिया जाए..

हमारी क़ोम के कुछ रहनुमा भी कहते हैं..
मुआवज़े की रकम को बढ़ा दिया जाए..
(अकमल बलरामपूरी)

राबिया हम शर्मिंदा हैं..
तुम्हारे क़ातिल जब तक सूली पर नही चढ़ जाते….जब तक तुम्हे इंसाफ नही मिल जाता…तब तक हम शर्मिंदा हैं..

हमे शर्मिंदगी इस बात से भी है कि हम ऐसे समाज में रहते हैं जहां लोग ज़ाती मफाद की वजह से अपना ईमान बेच देते हैं…हम ऐसे लोगों के बीच में रहते हैं जो किसी को मरता हुआ देख कर उसे बचाने के बजाए अपने घरों का दरवाजा बंद कर लेते हैं..

राबिया तुम्हारा नाम निर्भया नही है वरना अब तक हिंदुस्तान के तमाम सेकुलरिज्म का ज्ञान बांटने वाले लोग तुम्हे इंसाफ दिलाने के लिए सड़कों पर उतर जाते..

मरहूम राबिया हम शर्मिंदा हैं…

(अकरम बलरामपूरी उर्दू के शायर और पत्रकार हैं। वो सामाजिक मुद्दों पर लिखते रहते हैं)