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16 Mar 2025, Sun

खिचड़ी पर जिसने ये लेख नहीं पढ़ा वो देशद्रोही

IQBAL AHMAD ON KHICHDI ISSUE 1 021117

 

IQBAL AHMAD ON TEEPU SULTAN 2 251017
IQBAL AHMAD

इकबाल अहमद की फेसबुक वाल से

भिवंडी, महाराष्ट्र
बचपन से खिचड़ी मेरा पसंदीदा खाना रहा है। अम्मा बताती है कि बचपन में जब बीमार होता तो घर आकर डॉक्टर के कहे बगैर ही बोल देता था कि डॉक्टर ने खिचड़ी खाने को कहा है। शुक्रिया… सरकार जी आपने इसे राष्ट्रीय स्तर का दर्जा दे दिया।

मैं लखनऊ विश्वविद्यालय में इतिहास का छात्र रहा हूं। मध्यकालीन भारतीय इतिहास के बारे में हमारे प्रोफेसर शुक्ला जी पढ़ा रहे थे। उन्होंने एक जगह बताया कि बाबर ने अपनी आत्मकथा #बाबर_नामा में लिखा है कि हिंदुस्तान के लोगों का मुख्य खाना #खिचड़ी था। उस समय मुझे बड़ा गुस्सा आया था कि बाबर जो एक विदेशी आक्रमणकारी था वह हमारे देश के बारे में नीचा दिखाने के लिए जानबूझकर गलत लिखा होगा या फिर भारतीय इतिहासकार ने बाबरनामा का गलत अनुवाद किया होगा। लेकिन केंद्र सरकार ने खिचड़ी को राष्ट्रीय भोजन की मान्यता देकर बाबर के लिखें शब्द को और इतिहासकार के बाबरनामा के अनुवाद को सच साबित कर दिया।

हमारे पत्रकारिता और जनसंपर्क विभाग के एक प्रोफ़ेसर सक्सेना जी ने एक दिन बताया कि उर्दू का मतलब खिचड़ी ज़बान का होता हैं। मुग़ल जब हिंदुस्तान में आये तो उनकी सेना में अलग अलग भाषा के लोग थे। इससे आपस मे बातचीत होने में दिक्कत होती थी। उस समय सभी भषाओं के शब्दों को मिलाकर उर्दू बनी जिसे खिचड़ी भाषा भी कहा जाता है।

केंद्र सरकार ने खिचड़ी की अहमियत को समझा और राष्ट्रहित में सराहनीय फैसला किया है। इसका हम सबको स्वागत करना चाहिए। खिचड़ी को लेकर थोड़ी बहुत शंका मन में है। अब समस्या यह है खिचड़ी में कौन-कौन से खाद्य पदार्थ मिलाए जाएंगे ? इसका भी एक नोटिफिकेशन केंद्र सरकार को जारी करना चाहिए। कौन-कौन से खाद्य पदार्थ मिलाया जाना आवश्यक है। अज्ञानता वश किसी से कोई गलती हो जाए तो राष्ट्रीय भोजन का अपमान होगा। देश के तमाम लोगों से विनम्र निवेदन है राष्ट्र का सम्मान करते हुए खिचड़ी बनाने की कला अति शीघ्र महारत हासिल कर ले।

मेरा तो एक सुझाव ये भी है कि केंद्र और राज्य सरकारें एक खिचड़ी आयोग की स्थापना करें। उसका अध्यक्ष किसी अविवाहित को ही बनाया जाए। इस आयोग के माध्यम से देश के लोगों में खिचड़ी के प्रति जागरूकता फैलाने, सही तरह से पकाने और खाने खिलाने का प्रशिक्षण दिया जाए। साथ ही इससे संबंधित शिकायतें की जाएं।

खिचड़ी के फायदे
1. खिचड़ी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि ये फटाफट तैयार हो जाती है। बाबा रामदेव की मैग्गी से थोड़ा सा ज़्यादा समय ज़रूर लेती है।
2. खिचड़ी बनाने से ईंधन की बहुत बचत होगी।
3. खिचड़ि का सबसे बड़ा फायदा महिलाओं को मिलेगा। महिलायें तरह तरह के व्यंजन बनाने में अपना समय बर्बाद करती है और उसके बावजूद पति और परिवार के लोगों का मुंह सीधा नहीं होता है। वो उसमें कुछ न कुछ कमी निकाल देते है। खिचड़ी के बारे में पति और परिवार के लोग शिकायत भी नही कर सकते है क्योंकि ये राष्ट्र के सम्मान से जो जुड़ा मामला हो जाएगा।
4. सबसे ज़्यादा फायदा होगा नई नवेली दुल्हन को जिसे खाना बनाना ही नहीं आता है। वो ससुराल पहुंचेगी बस राष्ट्रीय भोजन खिचड़ी बना कर अपनी राष्ट्र भक्ति का प्रदर्शन कर सबका मन मोह लेगी।
5. हॉस्टल में रह रहे छात्रों को खिचड़ी रत्न से सम्मानित किया जाए। उन्होंने अपना पूरा छात्र जीवन खिचड़ी पर ही बिताया है। उन्हीं की वजह से खिचड़ी अब तक ज़िन्दा थी वरना कब ही इतिहास में दर्ज हो जाती।
6. खिचड़ी खाने से शरीर में बहुत सी बीमारी नहीं होगी और पेट भी साफ रहेगा। सरकार को स्वास्थ्य विभाग पर फालतू का खर्च नही करना पड़ेगा।
7. अमीर ग़रीब का भेद मिटेगा।
8. फ़िज़ूल पैसे की बर्बादी रुकेगी।
9. भविष्य में शादी विवाह के अवसर पर सिर्फ खिचड़ी ही खिलाई जाएगी। इससे शादियों में फिजूलखर्ची रुकेगी। गरीब बाप अपनी बेटी की शादी शान से करेगा।
10. देश का पैसा बचेगा देश की आर्थिक स्थिति मज़बूत होगी। देश का समय बचेगा जो देश को आगे ले जाने में काम आएगा।

केंद्र से अपील
मेरा केंद्र सरकार से अनुरोध है खिचड़ी का विरोध करने वालों को दंड का प्राविधान किया जाए। सज़ा के तौर पर सप्ताह में दो दिन लंगर लगा कर वो लोगों को खिचड़ी खिलाये।

राजनीतिक फायदा
खिचड़ी राष्ट्रहित में है इसके लिए आप सभी लोगों को सरकार का बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहिए। सरकार के मास्टर स्ट्रोक से विपक्ष की रात की नीद हराम हो गई है। छात्रों, गरीबों और महिलाओं का 50% वोट बीजेपी सरकार को मिलेगा।

बहुत-बहुत धन्यवाद
नोट:- ये योजना बीजेपी और उनके उच्च कोटि के समर्थकों पर लागू नही होगी। वो महंगे पकवान पुलाव, बिरयानी, मुर्ग मुसल्लम, काजू की रोटी, मिष्ठान बना कर या मंगवा कर खा सकते है।

(इकबाल अहमद लखनऊ यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता के छात्र रहे हैं। उनसे मेल आई iqbal.mpcc@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता हैं)