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22 Dec 2024, Sun

फिलिस्तीन, रोहिंग्या, सीरिया: आखिर कब तक रोते रहेंगे हम

SHAHBAZ RASHADI ON SYRIA 1 020318

शहबाज़ रशादी

आज़मगढ़, यूपी

क्या कोई मेरे सवालों का जवाब देगा कि आज मुसलमानों ने दुनिया की तकनीकि को अपनाकर कितनी तरक्की की ? मैं बताता हूं कि कितनी तरक्की की है। तो सुनिए… हमने अपना ईमान बेच दिया शैतानों के हाथ में। हमने अपने खून की गर्मी रख दी अय्यियाशियों के कदमों में। हमने अपने हकीकी खुदा को भुला दिया दुनियाबी खुदाओं के सामने। हमने पसन्द कर लिए गंदे लिबास और नापाक जिस्मों ज़ेहन का चलन। हमने हराम रिज़्क़ का सहारा लेकर पहन लिया गुनाहों का सारा ज़ेवर। हमको तो अपने नबी के तरीके बुरे लगने लगे काफिरो के तरीके के सामने और फिर ये दुनिया हम पर काबिज़ हो गयी।

ऐसे मानो हमें यही रहना है और हम एक मुर्दा क़ौम बन गए। बिल्कुल वैसे ही जैसे काफिर चाहते थे। जो क़ौम अपने आप को शेर दिल कहती और समझती थी। आज उस की हालत उस मरे हुये शेर जैसी है जिसका गोश्त नोचकर कुत्ते खा रहे है। वो कुत्ते जो इस शेर-ए-दिल क़ौम की आहट से कभी थर्रा जाया करते थे। आज दुनिया के मुस्लिम बच्चे उन तरक्की पसन्द मुस्लिमों को देख रहे है जो मॉडर्न बन जाने से मज़बूत बन जाने का दावा करते है। जो दीन छोड़कर दुनियावी खुशहाली दिखाते थे।

हम दुनिया की बराबरी करने चले थे तो फिर ये कैसी बराबरी की जिसमें सिर्फ हमें ही मारा जा रहा है। हमें ही कत्ल किया जा रहा है। अब कहां हो तुम… क्यों नही इंसानियत के दुश्मनों से हिसाब बराबर कर देते। मगर आप हिसाब बराबर कभी ना कर पाओगे। क्योंकि आप गुमराह हो चुके हो। आप धोखे की ज़द में हो। अफसोस सद अफसोस कि आज जो हमारे साथ हो रहा है उन सब के ज़िम्मेदार हम खुद है।

यकीन मानिए “अल्लाह” इस क़ौम को कब का गर्क कर चुका होता। अगर ये क़ौम उसके महबूब की उम्मती ना होती। आज हमारे पास “अय्याशी, गीबत, जुआ, शराब… दुनिया का हर वो बुरा काम है, सिर्फ ईमान को छोड़ कर। हमारे पास ईमान तब आता है, हमारा ईमान तब जागता है जब हम पर जुल्म होता है। तब हम अल्लाह, अल्लाह पुकारते है। अपने ईमान को मजबूत करिये। अल्लाह का खौफ अपने दिलो में पैदा कीजिये। वरना ऐसे ही मारे-काटे जाएंगे और ज़ुल्म का चोला पहनकर घूमते रहेंगे।

(शहबाज़ रशादी राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल से जुड़े हैं और सभी मुद्दों पर बेबाकी से लिखते हैं)