रंगून, म्यांमार
म्यांमार में इन दिनों भयंकर हिंसा भड़क उठी है। रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ सुरक्षाबलों और स्थानीय बोद्ध एक साथ खड़े हो गए हैं। कई एजेंसी की खबरों के मुताबिक रोहिंग्याई मुसलमानों का कत्लेआम किया जा रहा है। यहां बड़ों को घरों में बंद करके जला दिया जा रहा है तो बच्चों को तलवारों और दूसरे हथियारों से काटा जा रहा है। हालात काफी खराब हैं। करीब एक लाख रोहिंग्याई मुसलमान अपने घरों को छोड़कर बांग्लादेश के बार्डर पर शरणार्थी के तौर पर खड़े हैं पर बांग्लादेश अपने बार्डर नहीं खोल रहा है।
ताज़ा हिंसा में सेना ने करीब 400 मुसलमानों को मार दिया है। म्यांमार के मुस्लिम बहुल्य ज़्यादातर इलाके में हिंसा भड़क उठी है। रोहिंग्या मुसलमान और सुरक्षाबलों के बीच कुछ जगहों पर संघर्ष की भी खबरें हैं। पर ज़्यादातर जगह सेना या तो मुसलमानों को भगा रही है या फिर उन्हें मार रही है। भारी हिंसा के चलते म्यांमार में हालात ऐसे हैं कि स्थानीय रोहिंग्या मुस्लिम मजबूरन भागकर बांग्लादेश पहुंच रहे हैं।
विस्थापित हुए रोहिंग्या मुसलमानों का आरोप है कि सैनिक जान-बूझकर उनके ठिकानों में आग लगा रही है। दूसरी तरफ म्यांमार की सरकार ने इन आरोपों से इंकार किया है। शांति का नोबुल प्राइज़ जीत चुकी आंग सान सू ची इस पूरे मामले पर खामोश हैं। इसी हफ्ते की शुरुआत में ह्यूमन राइट्स वॉच ने एक सैटलाइट तस्वीर जारी की थी। इसमें बताया गया था कि पिछले 6 हफ्तों में रोहिंग्या मुसलमानों के 1,200 घरों को या तो तोड़ दिया गया है या फिर जला दिया गया है।
मानवाधिकार समूह ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि म्यांमार से मिली नई सैटेलाइट तस्वीरों से साफ़ पता चलता है कि रोहिंग्या मुसलमानों के एक गांव में 700 से अधिक घर जलाकर तबाह कर दिए गए हैं। समूह का कहना है कि ताज़ा तस्वीरें उत्तरी रखाइन प्रांत में तबाही के बारे में गंभीरता से सोचने पर विवश करती हैं।