बिहार विधानसभा चुनाव में एमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवौसी ने ज़ोरदार एंट्री की है। बिहार के किशनगंज में असदुद्दीन ओवौसी ने आज अपनी पहली रैली की। इस रैली में भारी भीड़ जुटी। ओवैसी ने बिना नाम लिए बिहार के नेताओं की तुलना बन्दर से की। उन्होंने कहा कि सीमांचल को शेरों की ज़रुरत है, बंदरों की नहीं। हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आज किशनगंज की रुईधासा मैदान में हज़ारो की भीड़ को संबोधित किया।
ओवैसी ने लालू, नितीश और पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा। इसके साथ ही ओवैसी ने पीएम मोदी के भाषण की मिमिक्री भी की। असदुद्दीन ओवैसी ने नीतीश और लालू पर भी जमकर निशाना साधा और कहा कि सीमांचल को शेरों की ज़रूरत है बंदरों की नहीं। उन्होंने कहा कि बिहार के लोग शेर को चुने क्योंकि वह शेर हैं। ओवैसी ने सीमांचल का मुद्दा उठाया और मांग की कि इस इलाके में विकास नहीं हुआ है, इसलिए आर्टिकल 371 के तहत स्पेशल डेवलॅपमेंट कौंसिल का गठन किया जाये। असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि अगर जनता कहेगी तो वह चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। फिलहाल सांसद ओवैसी ने बिहार के चुनावों को लेकर अभी पत्ते नहीं खोले हैं।
माना जा रहा है कि किशनगंज रैली के बाद ओवैसी बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने पर कोई फैसला ले सकते हैं। सूत्रों से जानकारी मिली है कि एमआईएम बिहार में 25 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। अगर ऐसा हुआ तो लालू, नितीश के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती हैं। एमआईएम महाराष्ट्र के बाद अब बिहार विधानसभा में भी किस्मत आजमाने को तैयार है। बिहार में 15 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं। किशनगंज, अररिया, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर, सहरसा के इलाकों में मुस्लिमों की अच्छी आबादी है। 2014 के लोकसभा चुनाव में इन सीटों पर बीजेपी बुरी तरह हार गई थी।
किशनगंज ज़िला सीमांचल इलाके में आता है और मुस्लिम बहुल है। ज़िले में विधानसभा की चार सीटें हैं, उन पर 2010 में एनडीए का खाता नहीं खुला था। उस समय कांग्रेस को 2, आरजेडी को 1 और पासवान की पार्टी (तब लालू के साथ) को 1 सीट मिली थी। किशनगंज लोकसभा सीट पर लगातार मुस्लिम सांसद ही जीतते रहे हैं. एक बार यहां से बीजेपी के शाहनवाज हुसैन भी जीते थे। दो बार से अभी कांग्रेस का कब्जा है।
राज्य में 60 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 18 से 74 फीसदी है। 50 सीटों पर 10 से 17 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। 2010 के चुनाव में 19 मुस्लिम विधायक बने थे। 35 ऐसे मुस्लिम उम्मीदवार थे जिनकी हार सिर्फ 29 से लेकर 1000 वोटों के बीच हुई थी।