गरीबी पर शोध की वजह से अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार जीतने वाले अभिजीत विनायक बनर्जी को बचपन से ही गरीबी परेशान करती थी। वे अपने अर्थशास्त्री पिता डा दीपक बनर्जी और अर्थशास्त्री मां डा निर्मला से इस बारे में सवाल पूछते रहते थे।
1983 में जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (जेएनयू) से एमए करने के बाद 1988 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की है। अभिजीत ने फरवरी 2016 में लिखे एक लेख में बताया था कि उन्हें तिहाड़ जेल में रहना पड़ा था। उन्होंने कहा, 1983 की गर्मियों में हम जेएनयू के छात्रों ने वाइस चांसलर का घेराव किया था। वह हमारे छात्रसंघ अध्यक्ष को कैंपस से निष्कासित करना चाहते थे। घेराव-प्रदर्शन के दौरान देश में कांग्रेस सरकार थी। पुलिस सैकड़ों छात्रों को उठाकर ले गई। हमें दस दिन तिहाड़ में रहना पड़ा, पिटाई भी हुई, लेकिन तब राजद्रोह जैसा मुकदमा नहीं होता था। हत्या की कोशिश के आरोप में दस दिन जेल में रहना पड़ा।
निर्मला बताती हैं कि साउथ पॉइंट स्कूल से 12वीं के बाद अभिजीत ने इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट (आईएसआई) में बी स्टैट में दाखिला लिया लेकिन बीच में ही सांख्यिकी छोड़कर प्रेसीडेंसी कॉलेज में अर्थशास्त्र पढ़ने के लिए लौट आया। यहां से 1981 में बीएससी की। भौतिकी का तब विकल्प था लेकिन उसने अर्थशास्त्र को चुना। पुराने दिन याद कर वह कहती हैं, आईएसआई हमारे घर से काफी दूर भी था।
58 वर्षीय अभिजीत ने 1988 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पीएचडी की थी। निर्मला ने बताया कि गरीबी को लेकर अभिजीत की समझ शानदार थी। गरीब कैसे जीवन यापन करते हैं इसको लेकर उसने विशेष काम किया था। हमारे बीच अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर हमेशा चर्चा होती थी। अभिजीत अभी मैसाच्युसैट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं।
पूर्व छात्र अभिजीत बनर्जी को अर्थशास्त्र का नोबेल मिलने पर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में भी जश्न का माहौल है। अभिजीत को पढ़ा चुके प्रोफेसर अंजान मुखर्जी ने कहा, ‘हमें विश्वास था कि अभिजीत की मेहनत और लगन को एक दिन बड़ा सम्मान मिलेगा। मैंने उसे ईमेल पर बधाई दी है। सेंटर फॉर इकोनॉमिक स्टडीज एंड प्लानिंग में मैंने उसे पढ़ाया था। वह हमारे सबसे अच्छे छात्रों में से था, हमें उस पर गर्व है।’ मुखर्जी ने कहा, ‘2008 में जब उसकी किताब आई थी हमें तब ही लगा था कि ये एक दिन नोबेल जरूर जीतेगा। अब हम गर्व से कह सकेंगे कि हमने नोबेल विजेता को पढ़ाया है।’