अज़ीम सिद्दीकी
जौनपुर, यूपी
कोरोना के खौफ से विश्व स्तर पर कई देश सहमें हुए है। इस महामारी के चपेट से भारत अछूता नहीं है। देश में इसका खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। आक तरफ इस महामारी को हराने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है तो दूसरी तरफ इस प्रतिबद्धता के आगे सुविधाएं न मिलने से स्वास्थ्य कर्मी विवश नज़र आ रहे हैं।
दरअसल असल कस्बों और ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य सेवाएं का जायज़ा ले तो पता चलता है कि ये स्वास्थ्य कर्मी मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं। ताज़ा मामला जौनपुर जिले के पीएचसी सोंधी का है जहां पर मानक के अनुसार कोई भी मापदंड स्वास्थाय कर्मियों में नज़र नही आ रहा है।
एक तरफ़ सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था का ढोल पीट रही है, लेकिन उक्त पीएचसी पर इसका उल्टा देखने को मिल रहा है। आखिर इस गम्भीर कोरोना जैसे बीमारी से कैसे देश लड़ेगा। जब लड़ने की व्यवस्था ढुलमुल है। फिर भी यहाँ पर तैनात कर्मचारी किसी तरह महामारी से निजात दिलाने के लिए जान हथेली पर काम कर रहे है। इस तरह अव्यवस्थाओं और सुविधाओं की कमी के बीच संघर्ष कर रहे है। आखिर कब तक यहाँ के स्वास्थ्य कर्मी असुविधाओं के बीच कब तक कोरोना के खिलाफ लड़ेंगे।
मीडिया ने जाना स्वास्थ्य केंद्र सोंधी का हाल
देश कोरोना की बीमारी से लड़ने के लिए तरह-तरह की एडवाइजरी जारी कर बचाने में जुटी हुई है, लेकिन सिर्फ एडवाइज़री जारी होने से सुविधाएं नहीं मिल जाती। सरकार की ये व्यवस्था प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर बिल्कुल फेल दिखाई पड़ रही है। इस समस्या तब ज्यादा पारदर्शी तरीके से सामने आया। जब मीडिया के लोग जानकरी लेने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सोंधी पहुँचे।
क्या कहते हैं ज़िम्मेदार
यहां पर तैनात डॉक्टर सहित स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि न तो सेनेटाइजर की सुविधा की है और ही यहाँ ना तो मास्क है। ना ग्लब्स और ना ही किसी भी स्वास्थ्य कर्मी के पास कोई सुरक्षा किट है। स्वास्थ्य कर्मियों के मुताबिक जो चीजें मिले हैं वो सुरक्षा मानक की दृष्टि से बिल्कुल फिट नहीं हैं।
स्वास्थ्य कर्मियों का छलका दर्द
स्वास्थ्य कर्मियों का बुनियादी ज़रूरतों की कमी का दर्द मीडिया के सामने छलक आया। स्वास्थ्य कर्मियों के मुताबिक उन्होंने उच्च अदिकारियों को कई बार अवगत कराया लेकिन हर तरफ कमी का रोना रोया जा रहा है। हम स्वास्थ्य कर्मी अपने रिस्क पर काम कर रहे हैं। ऐसे में एक तरफ़ सरकार लॉकडाउन कर कोरोना को हराने में लगी हुई है, तो दूसरी तरफ़ कोरोना को हराने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सोंधी के कर्मचारी सुरक्षा व्यवस्था के लिए तरस रहे है। फिर भी बिना जान के परवाह किये बिना काम कर रहे है।
यहां विदेशों से 54 लोग लौटे
जब से कोरोना का संकट देश में पर मंडराना शुरू किया। तब से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सोंधी के कर्मचारी क्षेत्र के आस – पास हाल ही में गांवों में गैर प्रदेश सहित विदेश से वतन को लौटकर आने वालों के घरों पहुँचकर स्वास्थ्य की जानकारी ले रही है। इसमे अब तक लगभग 54 लोगों के घर पहुँच स्वास्थ्य के जानकरी लिया जो कि विदेश से आयें हैं। अब तक किसी भी प्रकार के लक्षण नहीं पाएं गए। लेकिन उन सभी को कोरनटाइन रहने की सलाह दी गई है। इसके बाद भी स्वास्थ्य कर्मी लगातार इन लोगों के सम्पर्क में बनी हुई है। निगरानी कर रही है। इस तरह से स्वास्थ्य कर्मचारी असुविधाओ के बीच सेवा दे रहे है।
पीएचसी पर कितने हैं स्टाफ
जौनपुर जिले के अच्छे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में से एक प्राथमिक स्वास्थ्य सोंधी का नाम दर्ज है। एक बड़े पीएचसी के सूची में है, लेकिन सुविधा के नाम कुछ भी नहीं है। असुविधाओं के बीच सेवा दे रही है। पीएचसी सोंधी पर डॉक्टर सहित 243 आशा बहुएं, 38 एएनएम 12 सुपरवाइजर व अन्य कर्मचारी लगातार सेवा दे रहे है। कोरोना बीमारी का नाम सुनते ही लोगों के अन्दर भय सताने लगता है। लेकिन असुविधाओं के बीच ये सभी स्वास्थ्य कर्मी अपनी सेवा दे रहे है।
कब मिलेगी सुविधाएं
अब सवाल इस बात का है कि देश कोरोना को हराने के लिए हर परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार होने की राग अलाप रही है, लेकिन जमीनी हकीकत क्या है, ये जानकर होश उड़ जाते हैं। जिले के सभी पीएचसी मे से सोंधी पीएचसी एक खास अहमियत रखता है, लेकिन असुविधाओं की मार झेल रहा है। यहां मेडिकल किट की कमी का रोना है। ऐसी परिस्थितियों में स्वास्थ्य कर्मी कोरोना से लड़ने की क्षमता कैसे जुटा पाएंगे। हाल यही रहा तो एक न एक दिन यहाँ के स्वास्थ्य कर्मचारियों सुविधा के अभाव में सेवा देने से हाथ खड़ा कर सकते है?