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17 Oct 2024, Thu

दिसंबर 2018 में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश के अमरोहा समेत कई शहरों में छापेमारी कर एक बड़े ISIS मॉड्यूल का भांडा फोड़ने का दावा किया था। एनआईए ने 14 संदिग्धों को गिरफ्तार कर बड़ी साजिश को नाकाम करने का दावा किया था। लेकिन इसके बाद 21 जून को NIA ने सिर्फ 10 आरोपियों के खिलाफ ही पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की, जिसके चलते चार आरोपी जेल से बाहर आ गए। इन्हीं में से एक अमरोहा के रईस अहमद ने आजतक से बात कर आपबीती सुनाई है।

अमरोहा के सैदपुर इलमा गांव के रहने वाले रईस अहमद ने बताया कि दिसंबर में NIA ने उनकी दुकान में छापेमारी की थी। इसमें उन्हें और उनके भाई को पकड़ा गया था। भाई के खिलाफ चार्जशीट हो गई है। रईस ने बताया कि आतंकी साजिश के नाम पर दोनों की गिरफ्तारी हुई थी, जिससे सदमे में आए पिता की मौत हो गई।

जेल से बाहर आने के बाद रईस ने आजतक से कहा कि मैं परिवार के पास वापस आ गया, यही काफी है। अब हमारी दुकान बंद हो गई है, उम्मीद है कि भाई भी जल्दी वापस आएंगे। रईस ने उस दिन का जिक्र करते हुए कहा कि NIA ने हमें दुकान से गिरफ्तार किया था, वहां से कार के पुर्जे को ले जाया गया और उसके बारे में पूछताछ की गई।

रईस बोले कि उन्हें तो जेल में जाने के बाद पता लगा कि वह आतंक के केस में पकड़े गए हैं। जैक से रॉकेट बनाने वाली थ्योरी पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया और कहा कि आप इस बारे में NIA से ही पूछिए। रईस ने बताया कि जो बाकी लोग पकड़े गए उनको मैं नहीं जानता, ना ही उनसे कभी मिला।

आपको बता दें कि दिसंबर, 2018 में NIA ने दिल्ली, यूपी के कई शहरों में छापेमारी की थी। इस दौरान कुल 14 लोगों को गिरफ्तार किया था लेकिन सिर्फ 10 के खिलाफ ही चार्जशीट दायर हुई। बाकी चार के खिलाफ चार्जशीट नहीं हुई, इसलिए अब वह जेल से बाहर आ गए हैं। जिस संगठन पर छापेमारी हुई थी, उसका नाम हरकत उल हर्ब-ए-इस्लाम था।

जो चार लोग जेल से बाहर आए हैं, उनमें मोहम्मद इरशाद, रईस अहमद, ज़ैद मलिक और मोहम्मद आजम शामिल हैं। अभी इन्हें ज़मानत तो मिल गई है लेकिन NIA की मानें तो इस मामले में जांच का सिलसिला जारी रहेगा।

By #AARECH