देश में बढ़ती बेरोज़गारी अब बेहद ख़तरनाक होती जा रही है। बेरोज़गारी से परेशान होकर मरने वालों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। राष्ट्रीय अपराध अन्वेषण ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी किए गए ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, 2018 में बेरोज़गारी से हताश होकर ख़ुदकुशी करने वालों की संख्या में 2017 के मुकाबले 3.6 फीसद की बढ़ोतरी हुई है।
आंकड़ों की मानें तो 2018 में बेरोज़गारी के चलते हर दो घंटे में तीन लोगों ने मौत को गले लगाया है। गृहमंत्रालय के अंतर्गत आने वाली संस्था NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, 2018 में देशभर में 12 हज़ार 936 बेरोजगारों ने आत्महत्या की। औसतन 2018 में हर दिन 35 लोगों ने बेरोज़गारी से तंग आकर जान दे दी। 2017 में औसतन हर रोज़ 34 लोगों ने और 2016 30 लोगों ने खुदकुशी की।
आंकड़ों की मानें तो बेरोज़गारी के चलते जान देने वालों की संख्या किसानों से भी ज़्यादा है। 2018 में ख़ुदकुशी के 1 लाख 34 हज़ार 516 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2017 में 1 लाख 29 हज़ार 887 लोगों ने अपनी जान दी थी।
2018 में 12 हज़ार 936 लोगों ने बेरोजगारी से तंग आकर खुदकुशी की थी, जबकि इसी अवधि में 10 हज़ार 349 किसानों ने आत्महत्या की। 2017 में 12 हज़ार 241 लोगों ने बेरोजगारी की वजह से खुदकुशी की थी, जबकि इसी दौरान खेती-किसानी से जुड़े 10 हज़ार 655 लोगों ने आत्महत्या की।
हालांकि 2016 में बेरोज़गारों के मुकाबले किसानों ने ज़्यादा ख़ुदकुशी की थी। 2016 में 11 हज़ार 379 किसानों और खेतिहर मजदूरों ने जान दी थी, जबकि इसी अवधि में 11 हज़ार 173 बेरोजगारों ने आत्महत्या की थी।
वहीं 2015 में बेरोजगारी की वजह से 10 हज़ार 912 लोगों ने खुदकुशी की थी, जबकि उस साल किसानों की आत्महत्या के 12 हज़ार 602 मामले दर्ज किए गए थे। बेरोज़गारी से हताश होकर जान देने वालों में सबसे ज़्यादा पुरुष हैं। आंकड़ों के मुताबिक, नौकरी न मिलने पर जान देने वालों में 82 फीसद पुरुष हैं।