नई दिल्ली
यूनानी विभाग में हुई भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण में हेराफेरी की शिकायत को लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने कडा रुख आपनाया है। आयोग ने एक शिकायत को संज्ञान में लेते हुए यूपी के आयूष विभाग के प्रमुख सचिव और यूनानी निदेशक डॉ सिकंदर हयात को तलब किया है। आयोग की तरफ से जारी नोटिस में कहा गया है कि आज यानी गुरुवार 18 मार्च, 2021 को दोनों अधिकारियों को सभी दास्तावेज के साथ पेश दिल्ली में आयोग की सदस्या के सामने उपस्थित होना है।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग सख्त
आयोग की तरफ से जारी पत्र में प्रशिक्षित यूनानी फार्मासिस्टों की नियुक्ति के संबंध में ये नोटिस जारी किया गया है। इस मामले आयोग ने कहा कि यूपी के प्रमुख सचिव आयुष और यूनानी निदेशक डॉ सिकंदर हयात सिद्दीकी आयोग की सदस्या डॉ अंजू बाला के सामने 18 मार्च को दिन में साढे 11 बजे उपस्थित हों।
क्या है पूरा मामला
ये मामला में यूपी के आयुष चिकित्सा पद्धति से संबंधित यूनानी विभाग का है। इस विभाग में साल 2014 में फार्मासिस्ट के कुल 263 पद सृजित थे। इसमें 168 पद भरे हुए थे। इसके बाद बचे 95 पदों के लिए प्रशिक्षित फार्मासिस्टों की भर्ती के लिए काउंसिलिंग कराई गई। इनमें 89 पद भरे गए।
क्या है शिकायत
यूनानी विभाग में मौजूद अधिकारियों ने भ्रष्टाचार के चलते बड़ा खेल कर दिया। कुल 95 पदों में से जिन 89 पदों पर नियुक्ति की गई, उनमें एक भी एससी या एसटी के उम्मीदवार का शामिल नहीं था। इन सभी पदों पर सामान्य वर्ग या ओबीसी के अभ्यर्थी भरे गए। जबकि काउंसिलिंग में एससी और एसटी के उम्मीदवार शामिल थे।
एससी/एसटी की कितनी सीट
यूनानी विभाग में साल 2014 में फार्मासिस्ट के कुल 263 पद सृजित थे। इनमें 168 पर फार्मासिस्ट कार्यरत थे लेकिन इनमें एक भी एससी और एसटी वर्ग के नहीं थे। बाकी बचे 95 पदों में आरक्षित 55 सीट पर एससी और एसटी के लिए होनी चाहिए थी।
आरटीआई में खुद विभाग ने दिया जवाब
शैलेंद्र सोनवानी की 1 जुलाई, 2014 की आरटीआई के जवाब में खुद यूनानी निदेशक ने बताया कि 95 पदों का सापेक्ष 55 पद पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है।
यूनानी विभाग ने किया बड़ा खेल
95 पदों में कुल 89 पदों की भर्ती की गई। इसमें सामान्य और ओबीसी वर्ग को लोगों को भरा गया लेकिन अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के एक भी उम्मीदवार को नही लिया गया। इस मामले राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में शिकायत करने वाले दोनों अभ्यर्थियों ने पीएनएस को बताया कि इस मामले में भ्रष्टाचार का खूब खेल खेला गया। साथ ही सारे नियम कानून का धज्जियां उड़ा दी गई।
कार्रवाई की लटकी तलवार
इस मामले में अब कार्रवाई की तलवार लटकती नज़र आ रही है। अगर अनुसूचित जाति आयोग जवाब से संतुष्ट न हुआ तो वो प्रदेश सरकार को इस मामले में शामिल सभी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दे सकता है। बहरहाल अब सबकी नज़र आयोग पर टिकी हुई है।