अकोला, महाराष्ट्र
खबर महाराष्ट्र से है जहां 78 साल के एक हिंदू बुज़ुर्ग की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। उनके बेटे ने कथित रूप से उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने से और उनकी चिता को आग देने से इनकार कर दिया। इस बीच स्थानीय मुस्लिम युवकों ने उस बुज़ुर्ग का अंतिम संस्कार किया और चिता को आग भी दी।
पूरा मामला महाराष्ट्र के अकोला ज़िले का है। शनिवार को 78 वर्षीय वृद्ध की मौत हो गई जबकि उनकी पत्नी को कोरोना पॉज़िटिव का संक्रमण है और उनका अकोला के सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। एक अखबार की खबर के मुताबिक अकोला म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के स्वच्छता विभाग के प्रमुख प्रशांत राजुरकर ने बताया कि बुज़ुर्ग के नागपुर में रहने वाले बेटे ने शव को लेने और अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया। इसलिए, एक स्थानीय मुसलिम संगठन, अकोला कुच्छी मेमन जमात ने ज़िम्मेदारी संभाली। रविवार को कुछ मुसलिम लोगों ने श्मशान में चिता को आग दी।’
हालाँकि, यह साफ़ नहीं कहा गया कि उनके बेटे क्यों नहीं आ पाए। लॉकडाउन की वजह से या फिर कोरोना संक्रमण के डर से। मृतक की कोरोना जाँच नहीं हो पाई क्योंकि किसी की मौत होने के बाद कोरोना की जाँच नहीं की जा रही है। हॉस्पिटल की ओर से कहा गया है कि 23 मार्च को उनकी पत्नी को कोरोना के लक्षण दिखने पर भर्ती काराया गया था। जाँच के लिए नमूने लिए गए थे। लेकिन क़रीब दो घंटे में ही 78 वर्षीय वृद्ध की तबीयत ख़राब होने की जानकारी मिली। एंबुलेंस भेजी गई लेकिन तब तक उनकी मौत हो गई थी। इसके अगले दिन उनकी पत्नी की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। मृतक की जाँच नहीं हो पाई, लेकिन अंतिम संस्कार करने में पूरी तरह वैसी सावधानियाँ बरती गईं जैसे कोरोना मरीज़ के मामले में बरती जाती हैं।
अधिकारी ने यह भी कहा कि उनके स्वयंसेवकों ने सुरक्षात्मक गियर पहना, और ज़्यादातर मामलों में चिता सजाने के बाद वे रुक जाते हैं। हालाँकि, रविवार के अंतिम संस्कार में, उन्होंने चिता को आग भी दी। उन्होंने कहा, ‘रविवार के अंतिम संस्कार से कुछ लोग नाराज़ हो गए हैं। वे परेशान हैं कि मृतक का नाम सार्वजनिक हो गया है और बेटा मीडिया कवरेज के कारण परेशान है।’
यह ऐसा पहला मामला नहीं है। हाल ही में एक ख़बर पश्चिम बंगाल के मालदा ज़िले के लोहाईतला गाँव से भी आई थी। विनय साहा नामक एक वृद्ध की मौत हो गई। इस गाँव में साहा परिवार ही अकेला हिंदू परिवार है और बाक़ी सौ से ज़्यादा मुसलिम परिवार हैं। मुसलिम पड़ोसियों न केवल अर्थी को कंधा दिया बल्कि शव यात्रा के दौरान “राम नाम सत्य है” का उच्चारण भी किया। लॉकडाउन की वजह से साहा परिवार के सगे-संबंधी नहीं पहुँच सके थे। इसके अलावा देश के कई हिस्सों से भी ऐसी ही खबरे मिली हैं।