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22 Nov 2024, Fri

पर्सनल लॉ तो ठीक लेकिन मुसलमानों को बच्चे को गोद लेने का अधिकार: कोर्ट

दिल्ली

इस्लाम में किसी और के बच्चे को गोद लेने के अधिकार को लेकर बहस लंबे समय से चली आ रही है। इस बीच दिल्ली की एक अदालत ने अपने फैसले में कहा कि किसी व्यक्ति को गोद लेने के अधिकार से महज इसलिए वंचित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि वह मुसलमान है और उस पर धर्म से जुड़े पर्सनल लॉ लागू होते हैं।

दरअसल, एक आरोपी को एडॉप्शन पेपर पर साइन करने के लिए हरियाणा के नहू में संबंधित अधिकारी के पास जाना था, इसके लिए उसने कोर्ट ने पैरोल मांगी थी। सरकारी वकील ने पैरोल का यह कहते हुए विरोध किया था कि इस्लाम में गोद लेने की मनाही है। वकील ने कहा कि आरोपी पर उसके धर्म से जुड़े पर्सनल लॉ लागू होते हैं। ऐसे में उसे पैरोल नहीं दी जा सकती है।

‘इस्लाम में पर्सनल लॉ के तहत गोद लेने की इजाजत नहीं’
आरोपी के वकील कौसर खान ने दलील दी कि इस्लाम में पर्सनल लॉ के तहत गोद लेने की इजाजत नहीं है, लेकिन जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, 2000 के तहत मुस्लिम को भी एडॉप्सन का अधिकार दिया गया है। साथ ही आरोपी से जुड़ा केस अभी ट्रायल फेज में है, इसलिए उसे उसके अधिकारों से दूर नहीं किया जा सकता है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने कहा, “मैं इस दलील से सहमत हूं कि याचिकाकर्ता या आरोपी मुस्लिम हैं और उस पर धर्म से जुड़े पर्सनल लॉ लागू होते हैं। इसके बावजूद बचाव पक्ष के वकील का कहना सही है कि सांवैधानिक दायरे में मिले अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता है। जेल सुपरिटेंडेंट को आरोपी को 1 अप्रैल में पैरोल देने का इंतजाम करना चाहिए।