मुंबई, महाराष्ट्र
मुल्क में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की कोशिश का ज़बरदस्त विरोध करने का फैसला किया है। इसके साथ ही पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि बोर्ड में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाए जाने का पक्ष में हैं। बोर्ड ने ये भी कहा कि मुस्लिम समुदाय के विकास में महिलाओं को सकारात्मक भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से ‘सेव फेथ एंड कॉन्स्टिट्यूशन’ कैंपेन चलाया जा रहा है। इसके संबंध में सप्ताह की शुरुआत में मीडिया को बात करते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सेक्रटरी मौलाना वली रहमानी ने कहा कि मुस्लिम समाज में सुधार की जरूरत है, और हम महिलाओं की स्थिति को और बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं।
मौलाना रहमानी ने कहा कि सुधार मुस्लिम समुदाय के अंदर होना चाहिए। इसे बाहर से लागू नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि हम मुस्लिम पर्सनल लॉ के प्रावधान को बदलने की किसी भी कोशिश का विरोध करने के लिए हर मुमकिन कोशिश करेंगे।
इस कैंपेन से जुड़े मौलाना सज्जाद नोमानी ने कहा कि बोर्ड में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर विचार-विमर्श जारी है। उन्होंने कहा कि हाल में बोर्ड के जनरल काउंसिल के 250 सदस्यों में सिर्फ 25 और वर्किंग कमिटी के 51 सदस्यों में पांच महिलाएं हैं। हम जानते हैं कि महिलाओं को उचित प्रतिनिधत्व नहीं मिला है। अगले साल सत्र में उनकी भागीदारी बढ़ाई जा सकती है।
मालूम हो कि हाल ही में दिल्ली में हुई बैठक में बोर्ड ने ‘सेव फेद एंड कॉन्स्टिट्यूशन’ को लेकर जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से महिला स्वयंसेवियों को ट्रेनिंग देने का फैसला किया था। मौलाना नोमानी ने कहा कि देश की विविधिता और लोकतंत्र को बचाने के प्रयास में महिलाओं को शामिल किया जाए, जो लोकतंत्र और विविधता दिल्ली में नई सरकार बनने के बाद से गंभीर खतरे में है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने संविधान की सुरक्षा के लिए अन्य अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्ग के लोगों से भी बात की। कैथलिक सभा के पूर्व प्रेजिडेंट डॉल्फी डीसूजा ने कहा, ‘हम देश में असहिष्णुता की संस्कृति तैयार करने वाली ताकतों का विरोध करते हैं।’