जौनपुर, यूपी
ज़िले के ढाँढवारा खुर्द गांव में 21 अप्रैल को होने वाले मुशायरा रद्द हो गया है। मुशायरा आयोजित कराने वाली कमेटी के ज़्यादातर सदस्य फरार हो गए हैं। मुशायरा के नाम पर चंदा देने वाले और टिकट खरीदने वाले अब इधर उधर भाग रहे हैं। इस मामले पर कमेटी का कोई सदस्य बोलने के लिए तैयार नहीं है। वहीं जिन नेताओं के नाम पोस्टर पर दिए गए हैं वो भी कुछ बोलने से मना कर रहे हैं।
दरअसल 21 अप्रैल शनिवार को ज़िले के ढंढवारा गांव में ‘एक शाम जावेद सिद्दीकी के नाम’ पर मुशायरा/कवि सम्मेलन का आयोजित किया जाना था। इसके लिए आयोजकों द्वारा एक दर्जन नेताओं के नाम और फोटो का पोस्टर, बैनर और होर्डिंग बनवाकर जगह-जगह लगवाया गया। इनमें नेताओं के नाम और फोटो दोनों लगाए गए और शायरों के सिर्फ नाम लिखे गए। इन होंडिंग को देखकर साफ लग रहा था कि ये मुशायरा सिर्फ नेताओं का प्रचार-प्रसार करने लिए आयोजित किया गया है, इसका उर्दू अदब से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था।
आयोजकों ने तैयारियों को लेकर एक माह पहले से ही प्रचार करना शुरु कर दिया था। कार्यक्रम के टिकट की बिक्री भी धड़ल्ले से हो रही थी। दूसरी तरफ चंदा भी ज़ोरदार तरीके से वसूला जा रहा था। दरअसल मुशायरा का बजट काफी बड़ा था इसलिए एक दर्जन नेताओं के नाम और फोटो लगवाए गए। सूत्रों का दावा है कि कई नेताओं ने चंदा देने के नाम पर अपना नाम होंर्डिंग में लिखवाया। आयोजकों का कहना था कि नेताओं ने वादे के मुताबिक न तो चंदा दिया और न ही कोई सहयोग दिया।
अचानक सूचना मिली कि मुशायरा चन्दे के अभाव में स्थगित कर दिया गया है। इसका कारण बजट से कम चंदा इकठ्ठा होना बताया गया। अन्त में कमेटी ने मुशायरा को स्थगित कर दिया और फरार हो गए। अब चर्चाओं का बाज़ार गरम है। दूसरी तरफ तरफ लोग इसे अच्छा भी मान रहे हैं। दरअसल मुशायरा, क्रिकेट, कबड्डी के नाम पर इलाके में नेतागीरी करने वालों की बाढ़ सी आ गई है। चंद रूपये चंदा देकर नेता मूल समस्याओं से ध्यान भटकाकर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। बिजली, पानी सड़क और रोजगार को लेकर ये नेता कभी सड़क पर दिखाई नहीं देते हैं। ऐसे में इलाके की जनता आम समस्याओं से लगातार दो-चार हो रही है।