डॉ अशफाक़ अहमद
लखनऊ, यूपी
समाजवादी पार्टी ने चारो तरफ से उठी मुसलमानों की आवाज़ को अनसुना कर दिया। पार्टी ने राज्य सभा की 7 सीट लिए किसी मुस्लिम को टिकट दिए जाने की मांग को सिरे से खारिज कर दिया। पार्टी ने पहले से तय सातों उम्मीदवारों का आज नामांकन करा दिया। इसके साथ ही किसी मुस्लिम के सपा की तरफ से राज्य सभा जाने की अटकलों पर विराम लग गया। पार्टी का ये फैसला 2017 के चुनाव में ज़रूर असर डालेगा।
इससे पहले पिछले तीन दिनों से लगातार ऐसी खबरें आ रही थी कि मुसलमानों की नाराज़गी को देखते हुए पार्टी काफी गंभीर है। दरअसल 2017 में ही विधान सभा होने हैं। ऐसे में पार्टी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। इसके बावजूद पार्टी ने राज्य सभा अपने कोटे की सीटों पर किसी मुसलमान को टिकट नहीं दिया।
मुसलमान को टिकट क्यों नहीं
समाजवादी पार्टी ने अपने सबसे भरोसे के वोटर मुसलमानों के किसी नेता को टिकट क्यों नहीं दिया। ये सवाल न सिर्फ बाहरी लोगों बल्कि पार्टी के भीतर भी चर्चा का विषय बना हुआ है। सपा में मुस्लिम नेताओं की कमी नहीं है। कई नामों को लेकर चर्चा चल रही थी। पार्टी की संसदीय बोर्ड की मीटिंग में टिकट बंटवारे को लेकर सारे अधिकार मुलायम सिंह को दे दिए गए। सूत्रों की माने तो पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव ने किसी मुस्लिम के नाम पर विचार ही नहीं किया। सवाल ये उठता है कि क्या पार्टी में ऐसा कोई मुस्लिम लीडर ही नहीं था जिसे टिकट दिया जा सकता था।
अमर सिंह को इनाम
सपा ने जिन सात लोगों को टिकट दिया उनमें सबसे पहला और विवादित नाम अमर सिंह का है। अमर सिंह छह साल से पार्टी से बाहर हैं लेकिन पार्टी ने मंत्री शिवपाल सिंह यादव कहते हैं कि अमर सिंह नेताजी के दिल में हैं। दूसरी तरफ आज़म ख़ान ने अमर सिंह का विरोध किया लेकिन उनकी एक न सुनी गई। वैसे तो आज़म ख़ान यूपी सरकार में नंबर दो पर हैं लेकिन अमर सिंह को टिकट देकर मुलायम सिंह ने आज़म ख़ान को उनकी औकात भी बता दी।
बेनी बाबू हो गए करीबी
कांग्रेस में रहते हुए मुलायम सिंह को हर मुद्दे पर कोसने वाले बेनी बाबू भी मुलायम के करीबी हो गए। टिकट पाने के दो दिन पहले ही वो पार्टी में शामिल हुए थे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि उनके बेटे को भी विधान सभा के चुनाव में पार्टी का उम्मीदवार बनाया जाएगा। सवाल ये है कि बेनी प्रसाद वर्मा पर मुलायम की इतनी मेहरबानी क्यों की।
सपा नेताओं की खामोशी
हर मुद्दे पर बोलने वाले सपा नेताओं से जब इस मुद्दे पर बात करने की कोशिश की गई तो सभी ने चुप्पी साध ली। एक कार्यक्रम में सीएम अखिलेश के सामने ये मुद्दा उठा था तो सीएम ने कहा था कि ये बात पार्टी की नज़र में है। मुसलमानों को चुनावी मेनोफेस्टों में 18 फीसदी आरक्षण देने की बात करने वाली समाजवादी पार्टी की मुसलमानों से बेरूखी की वजह पार्टी के कार्यकर्ता तलाश रहे हैं। दरअसल जनता के बीच जाकर जवाब तो उन्हें ही देना है।