लखनऊ, यूपी
देश में भीड़तंत्र नहीं बल्कि आरएसएस के लोग ही दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों की सरेआम हत्या कर रहे हैं। देश का मीडिया इसे भीड़तंत्र कह कर आरएसएस को बचा रहा है। लोकतंत्र पूरा तरह खतरे में हैं। देस के राष्ट्रपति को आगे आकर लोकतंत्र और इससे जुड़ी संस्थाओं की हिफाज़त करनी चाहिए। ये बाते प्रखर समाजवादी चिंतक और एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष प्रो रमेश दीक्षित ने कही।
प्रो रमेश दीक्षित बतौर मुख्य अतिथि मदर टेरेसा फाउंडेशन द्वारा मॉब लिंचिंग के खिलाफ आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के दौरान ये बातें कहीं। मदर टेरेसा फाउंडेशन ने राजधानी लखनऊ के प्रेस क्लब में ये कार्यक्रम रखा था। प्रो रमेश दीक्षित ने कहा कि बड़े ही सुनियोजित तरीके से आरएएसएस और उससे जुड़े लोग एक तरफ लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमले कर रहे हैं तो दूसरी तरफ वो गाय के नाम पर दलितों और अल्पसंख्यकों की हत्या कर रहे हैं। इसे रोकने के लिए सभी सेक्यूलर दलों और लोगों को एक साथ आगे आकर विरोध करना होगा।
कार्यक्रम में मदर टेरेसा फाउंडेशन के संरक्षक और सपा के पूर्व महासचिव मोहम्मद अरशद खान ने कहा कि एक पार्टी और उससे जुड़े संगठन आज़ादी के बाद से ही मुसलमानों के खिलाफ साजिश कर रहे हैं। पहले देश में दंगा के नाम पर मुसलमानों का कत्लेआम हुआ। उसके बाद टाडा फिर पोटा, इसके बाद आतंकवाद के नाम पर सैकड़ों बेगुनाहों को जेल में डाला गया।
अरशद खान ने कहा कि अब देश के कई हिस्सों में मॉब लिंचिंग के नाम पर मुसलमानों, दलितों को मारा जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक जमाने में गाय का गोश्त सभी खाते थे। ये बहुत पुरानी बात नहीं है। अचानक से कुछ लोग गाय के गोश्त के नाम पर तो कभी बकरे के गोश्त को गाय का बताकर हत्या कर रहे हैं। ये लोग दरअसल आतंकवाद फैला रहे हैं। अगर इसका जवाब मुसलमान देने पर आया तो देश के हालात बहुत बिगड़ जाएंगे।
अरशद खान ने कहा कि बीएम मोदी पहले सबका साथ सबका विकास की बात करते थे। अब वो सबका विश्वास की बात कर रहे हैं। वो देश के प्रधानमंत्री है किसी एक संगठन के नहीं। उन्हें आरएसएस के मुख्यालय नागपुर में बजरंग दल, हिदूं युवा वाहिनी, आरएसएस समेत सभी संगठनों को बुलाकर बताएं कि ये सब बंद हो तभी पीएम मोदी देश के सभी लोगों का विश्वास हासिल कर पाएंगे।
उस मौके पर सीनियर एडवोकेट ज़फरयाब जीलानी, फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ नासिर खान, शाह अनवर जमाल समेत कई लोगों ने अपने विचार रखे। इस मौके पर दर्जनों कार्यकार्ता और पदाधिकारी मौजूद रहे।