जेलों में बाद नौजवानों के परिवार वालों से मिले
शफी आलम
आज़मगढ़, यूपी
दिल्ली में ओखला से आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान आज़मगढ़ के गांव संजरपुर के दौरे पर हैं। अमानतुल्लाह ख़ान ने यहां बटला हाउस एनकाउंटर में कई साल से सलाखों के पीछे बंद नौजवानों के परिवार वालों से मुलाकात की और उन्हों इंसाफदिलाने की बात कहीं।
विधायक अमानतुल्लाह ख़ान ने पहले आज़मगढ़ पहुंचे यहां से वे संजरपुर गए और वहां आतंकवाद के नाम पर गिरफ़्तार कि गए नौजवानों के परिवार वालों से मुलाक़ात की। खास बात यह है कि ये नौजवान ओखला के बटला हाउस इलाक़े में ही रह रहे थे, जब इन्हें आतंक से कनेक्शन के आरोप में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल एनकाउंटर किया था। इनमें से कई नौजवानों को जेलों में बंद कर दिया गया था।
दिल्ली पुलिस की इस कार्रवाई पर कई लोगों ने सवाल उठाए थे। यहीं नहीं आज़मगढ़ के बुध्दिजीवी और उलेमाओं ने एक बड़ी तहरीक शुरु की थी। इसका नेतृत्व भी उलेमा कर रहे थे और इसका नाम उलेमा कौंसिल दिया गया था। बाद में ये एक राजनीतिक दल बन गया। पर अब तक इन पर चल रहे मुक़दमों में कोई ठोस नतीजे आए हैं और न ही किसी ने इनको इंसाफ़ दिलाने में कोई खास पहल की है।
अमानतुल्लाह ख़ान ने लोगों से कहा कि वे न सिर्फ़ इस मुद्दे को उठाते रहेंगे, बल्कि देश में आतंकवाद के नाम पर हो रही फ़र्ज़ी गिरफ़्तारियों के ख़िलाफ़ देशव्यापी आन्दोलन भी जल्द ही शुरु करेंगे।
स्थानीय लोगों को अमानतुल्लाह ख़ान ने सुप्रीम कोर्ट के डी.के. बासु गाईडलाइन्स के बारे में बताया और इस बात की भी जानकारी दी कि वो पहले भी आतंकवाद के नाम पर फ़र्ज़ी गिरफ़्तारियों व बटला हाउस एनकाउंटर पर आवाज़ उठाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली विधान सभा में भी इसके बारे में आवाज़ बुलंद कर चुके हैं। अमानतुल्लाह खान ने लोगों से बादा किया कि आगे भी वह इस मसले पर आवाज़ उठाते रहेंगे।
अमानतुल्लाह खान ने कहा कि खुफिया एजेन्सियां बेक़सूरों को पकड़कर ज़बरदस्ती आतंकी बना देती हैं, जबकि यह हक़ किसी को नहीं है, न मीडिया को और न पुलिस को। उन्होंने कहा कि अब कहीं न कहीं से आवाज़ ज़रूर उठनी चाहिए। इसकी शुरूआत संजरपुर से हो, फिर जिस जगह से बेक़सूर नौजवानों को उठाते हैं, वहीं जाकर एक जलसा किया जाए।
आप एमएलए ने सवालिया अंदाज़ में कहा कि क्या हमें खुली हवा में सांस लेने का अधिकार नहीं है। हम कब तक सबूत देते रहेंगे कि हम इस मुल्क से मुहब्बत करते हैं, हम कब तक सबूत दें कि हम वफ़ादार हैं, आंतकवादी नहीं।