लखनऊ, यूपी
एमआईएम की प्रदेश यूनिट ने आज लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास तक मार्च निकालने का एलान किया था। इसके लिए भारी संख्या में पार्टी के कार्यकर्ता केडी सिंह स्टेडियम पर हुए जमा हुए। पुलिस प्रशासन ने स्टेडियम के पास सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए थे और रास्ते को रोक दिया था। एमआईएम के प्रदेश संयोजक शौकत अली के नेतृत्व में जैसे ही पार्टी कार्यकर्ता आगे बढ़े। मौके पर मौजूद भारी पुलिस बल ने उन्हें रोक दिया।
एमआईएम के प्रदेश संयोजक शौकत अली ने अधिकारयों से कहा कि वह शांतिपूर्ण तरीके से सीएम आवास तक जाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश का सीएम जनता का सीएम होता है और हम उन तक अपनी बात पहुंचाना चाहते हैं। दूसरी तरफ स्थानीय प्रशासन और पुलिस किसी भी हाल में जुलूस को आगे बढ़ने नहीं दे रहा था। इसके बाद एमआईएम के कार्यकर्ता शौकत अली के साथ शांतिपूर्ण तरीके से सड़क पर बैठ गए। इसके बाद उसी जगह पर मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा गया।
इससे पहले पार्टी के प्रदेश संयोजक शौकत अली के पहुंचते ही कार्यकर्ताओं में जोश में नारे लगाने शुरु कर दिए। प्रदेश संयोजक ने कार्यकर्ताओं से कहा कि हमारी पार्टी अनुशसन के लिए जानी जाती है इस लिए नारे या कोई ऐसा काम न करें जिससे जनता को कोई तकलीफ हो। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने नारे लगाने बंद कर दिए।
एमआईएम ने सीएम के नाम दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि समाजवादी पार्टी की सरकार ने मुसलमानों को आजतक सिर्फ वादों पर ही आश्रित रखा है। मौजूदा सरकार सिर्फ खोखले वादे को सजाकर दिखा रही है। सामाजिक न्याय की बात करने वाली सरकार में मुसलमान हर क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है। मुज़फ्फरपुर दंगे में मारे गए लोगों को आज तक न्याय नहीं मिला।
ज्ञापन में कहा गया है कि मुसलमान नौजवानों के लिए रोजगार के कोई साधन उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं। मौजूदा सरकार जल्द ही मुसलमानों की समस्याओं पर ध्यान नहीं देती है तो एमआईएम चुप नहीं रहेगी वह लोकतांत्रिक तरीके से प्रदेश सरकार के खिलाफ जन आंदोलन चलाएगी।
ज्ञापन में मांग की गई है कि सत्ता में आने से पहले अपने वादे के अनुसार सरकार मुसलमानों को सामाजिक पिछड़े की बुनियाद पर 18 फीसदी आरक्षण दिया जाए। प्रदेश में ‘जस्टिस सच्चर कमेटी’ और ‘रंगनाथ मिश्रा कमीशन’ की रिपोर्ट को तुरंत लागू किया जाए। आतंकवाद के नाम पर जेलों में बंद बेगुनाह मुसलमानों को की रिहाई के लिए फॉस्ट ट्रेक कोर्ट बनाई जाए।
उर्दू मीडियम स्कूल खोलने, मदरसों के लिए अलग बजट देने, मुसलमानों की सुरक्षा बलों और पुलिस में भर्ती बढ़ाने की बात भी कही गई है। सरकारी अस्पतालों में गंभीर बीमारियों का मुफ्त इलाज, गांवों में 20 घंटे बिजली, बेरोजगार नौजवानों को एक हज़ार रूपया भत्ता और गरीब छात्रों को मुफ्त कोचिंग और छात्रावास उपलब्ध कराने की मांग की गई है। इसके अलावा 65 साल की उम्र से किसानों को पेंशन और भूमि अधिग्रहण करने पर सर्किल रेट से 6 गुना ज़्यादा जमीन का रेट किसानों को देने की बात कही गई है।
एमआईएम के मार्च में लखनऊ, फैज़ाबाद, कानपुर, उन्नाव, बाराबंकी समेत प्रदेश के कई ज़िलों के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।