न्यूयार्क, अमेरिका
पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले चुका कोरोना वायरस से मौतों का सिलसिला खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। दुनिया की कई कंपनियां और देश कोरोना की वैक्सीन बनाने के लिए लगातार रिसर्च कर रहे हैं। ऐसे में कोरोना वायरस वैक्सीन को बनाने के लिए शार्क का शिकार तेजी से किया जा रहा है। इसेक परिणाम स्वरूप कई वन्य जीव विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस काम के लिए दुनियाभर में करीब पांच लाख से ज्यादा शार्कों को मारा जा सकता है।
दरअसल इन शार्कों को इनके लिवर में बनने वाले एक खास तेल स्क्वैलीन के लिए मारा जा रहा है। यह एक प्राकृतिक तेल है और इसका इस्तेमाल बुखार के वैक्सीन की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
मौजूदा समय में कोरोना वायरस की वैक्सीन बना रहे कई निर्माता शार्क के तेल का उपयोग अपनी दवा को प्रभावी बनाने के लिए कर रहे हैं। हालांकि अभी तक शार्क के तेल से बनने वाली वैक्सीन के प्रभावी होने की पुष्टि नहीं हुई है। फिर भी शार्क के संरक्षण के लिए काम करने वाले समूह शार्क एलाइज ने दावा किया है कि अगर इस वैक्सीन को दुनियाभर के लोगों को दिया गया तो इसके लिए 2,40,000 शार्कों को मारा जा सकता है।
कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि शार्क एलाइज के दिए गए आंकड़े बहुत कम हैं। कोरोना वायरस से बचने के लिए वैक्सीन की 2 डोज संक्रमितों को दी जाती है। इस हिसाब से अगर सभी लोगों को शार्क के तेल से बना वैक्सीन दिया जाता है तो इसके लिए कम से कम 5 लाख शार्कों को मारना पड़ेगा। जो हमारे समुद्री पर्यावरण को खत्म कर देगा।
शार्क एलाइज़ के संस्थापक और कार्यकारी निदेशक स्टेफ़नी ब्रेंडल ने कहा कि किसी जंगली जानवर से कुछ प्राप्त करना कभी भी टिकाऊ नहीं होगा। शार्क तो समुद्र के चरम शिकारी जीव है। यह प्रजनन भी बड़ी कम संख्या में करती है। यह महामारी कितने दिनों तक चलेगी इसका कोई अनुमान नहीं है। इसलिए अगर शार्कों का इसी तरह से शिकार होता रहा तो एक दिन ऐसा आएगा जब समुद्र से इनकी आबादी ही खत्म हो जाएगी।