बसपा सुप्रीमो मायावती ने बहुचर्चित स्टेट गेस्ट हाउस कांड में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा वापस लेने का शपथ पत्र देकर यूपी की राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने स्वयं इसकी पुष्टि की है, लेकिन विस्तृत जानकारी कोई नहीं दी है। गठबंधन टूटने के छह माह बाद सपा के प्रति यह नरमी चौंकाने वाली है।
हजरतगंज थाने में दर्ज हुए थे तीन मुकदमें
उत्तर प्रदेश की राजनीति में 2 जून 1995 का दिन स्टेट गेस्ट हाउस कांड के रूप में जाना जाता है। मायावती पर हमले के विरोध में मुलायम सिंह यादव उनके छोटे भाई शिवपाल यादव, सपा के वरिष्ठ नेता धनीराम वर्मा, आजम खान, बेनी प्रसाद वर्मा समेत कई नेताओं के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में तीन मुकदमे दर्ज हुए थे। इनमें से सिर्फ मुलायम सिंह यादव के खिलाफ मुकदमा वापस लेने के लिए शपथ पत्र दिया गया है।
सतीश चंद्र मिश्रा ने इसकी पुष्टि करते हुए सिर्फ इतना कहा कि मुलायम के खिलाफ मुकदमा वापस लेने का शपथ पत्र भेज दिया गया है। जनवरी में जब सपा-बसपा का गठबंधन हुआ था उस वक्त अखिलेश यादव ने बसपा सुप्रीमों से यह मुकदमा वापस लेने का अनुरोध किया था। मौजूदा वक्त में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है।
नरमी के तलाशे जा रहे राजनीतिक मायने
बसपा-सपा से गठबंधन करके 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ी थी। स्टेट गेस्ट हाउस कांड के बाद सपा-बसपा करीब 24 साल बाद एक साथ आए थे, लेकिन चुनाव में बेहतर परिणाम न आने के बाद मायावती ने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर 4 जून 2019 को सपा से गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया। इसके बाद दोनों पार्टियों के बीच राजनीतिक रिश्ते पूरी तरह से खत्म होते नजर आए। इसके ठीक छह महीने बाद अचानक बसपा सुप्रीमो द्वारा सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के खिलाफ स्टेट गेस्ट हाउस कांड में मुकदमा वापस लेने के लिए शपथ पत्र देने के अब राजनीतिक मायने तलाशे जा रहे हैं।