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18 Oct 2024, Fri

मैनपुरी, यूपी

दशकों से एक-दूसरे को बेहद नापसंद करने वाले समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव और बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने शुक्रवार को चुनावी रैली में एक साथ मंच साझा किया। मायावती गेस्‍ट हाउस कांड को भुलाकर समाजवादी पार्टी के गढ़ मैनपुरी में मुलायम सिंह के लिए वोट मांगने पहुंचीं। स्टेज पर मुलायम ने मायावती का सम्मान के साथ स्वागत किया और अपने समर्थकों को भी हमेशा उन्हें सम्मान देने की बात कही।

मुलायम सिंह ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि-‘मायावती जी आईं मुझे बहुत खुशी हुई, हमेशा सब लोग मायावती का सम्मान करें। मैं इस बार आप के कहने पर आख़िरी बार चुनाव लड़ रहा हूँ।, आप लोग मुझे आख़िरी बार बहुमत से जिता देना। आखिरी चुनाव में रिकॉर्ड वोटों से जिताना।’

बसपा प्रमुख ने मैनपुरी में मंच साझा करने के बाद कहा कि भीड़ और जोश बता रहे हैं कि मुलायम सिंह जी रिकॉर्ड वोटों से जीतेंगे, दो जून की घटना का जवाब दे चुकी हूं। आज खुद मैं मैनपुरी मे मुलायम सिंह जी के लिए वोट मांगने आई हूं। मूवमेंट के हित में और देशहित मे कठिन फैसले लेने पड़ते हैं। मुलायम सिंह ‘पिछड़ों’ के असली नेता हैं और पीएम मोदी ‘फर्जी’ नेता हैं।

अखिलेश यादव, मुलायम सिंह के एकमात्र और वास्तविक उत्तराधिकारी हैं। अखिलेश मुलायम सिंह की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। बीजेपी इस बार सत्ता से बाहर चली जाएगी। बीजेपी और मोदी ने 100 दिन में विदेश से कालाधन लाने और हर एक को 15 लाख रुपये देने का वादा किया था। लेकिन उनका सारा वादा जुमला निकला। बीजेपी के साथ साथ मायावती ने कांग्रेस पर भी जमकर हमला बोला ‘कांग्रेस थोड़ी सी आर्थिक सहायता का वादा कर रही है पर हम लोग नौकरी देंगे।‘ मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद से खासतौर पर मुलायम सिंह से मिलवाया, मुलायम सिंह ने सर पर हाथ रख कर आकाश को आशीर्वाद दिया ।

MAYAWATI AND MULAYAM SINGH WILL BE TOGETHER ON STAGE 4 190419

अखिलेश यादव ने चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि आप लोग साइकिल नहीं भूलना। यह एक ऐतहासिक दिन है। नेता जी ने मायावती का अहसान माना है, और बहन जी ने उनके लिए वोट मांगा है। ये चुनौती देश के भविष्य से जुड़ीं है। हमें नया प्रधानमंत्री बनाना है, बीजेपी ने व्यापार खत्म कर दिया। सपा बसपा ने हमेशा तरक्की खुशहाली का काम किया है। चौकीदार की चौकी छीननी है, तभी देश बचेगा। मायावती जी ने ठीक कहा वो कागज मे पिछड़े हैं और हम जन्म से पिछड़े हैं।

उत्तर प्रदेश बीते 25 सालों में हर उस लम्हे का गवाह रहा है जब मायावती और मुलायम सिंह यादव एक दूसरे को देखना भी पसंद नहीं करते थे। दोनों के बीच कटुता इतनी बढ़ गई थी कि मायावती मुलायम को पागल खाने भेजने की बात कहती थीं और फिर दोनों ओर से बयानों के तीर मर्यादाओं को तार-तार कर देते थे। ऐसा नहीं था कि दोनों के बीच हमेशा से ही दुश्मनी थी, दोनों नेता एक साथ मिलकर बना चुके हैं। लेकिन तारीख 2 जून 1995 को हुए गेस्ट हाउस कांड ने न सिर्फ दोनों को कट्टर दुश्मन बना दिया बल्कि खाई इतनी चौड़ी हो गई कि सियासी मतभेद एक दूसरे को देख लेने जैसे चुनौती में बदल गए। गेस्ट हाउस कांड के बाद एक पूरी पीढ़ी बदल गई और अब फिर दोनों के एक साथ हैं और मैनपुरी में 19 अप्रैल 2019 की तारीख दोनों की दोस्ती की गवाह बन गई।

1993 में बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव और बीएसपी प्रमुख कांशीराम ने गठजोड़ किया था। उस समय उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश का हिस्सा था और कुल सीट थीं 422। मुलायम 256 सीट पर लड़े और बीएसपी को 164 सीट दी थीं। चुनाव में एसपी और बीएसपी गठबंधन जीता। एसपी को 109 और बीएसपी को 67 सीट मिली थीं इसके बाद मुलायम सिंह यादव बीएसपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने। लेकिन, आपसी मनमुटाव के चलते 2 जून, 1995 को बसपा ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया और समर्थन वापसी की घोषणा कर दी। इस वजह से मुलायम सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई।

सरकार को बचाने के लिए जोड़-घटाव किए जाने लगे। ऐसे में अंत में जब बात नहीं बनी तो नाराज सपा के कार्यकर्ता और विधायक लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस पहुंच गए, जहां मायावती कमरा नंबर-1 में ठहरी हुई थीं।  2 जून 1995 के दिन उत्तर प्रदेश की राजनीति में जो हुआ वह शायद ही कहीं हुआ होगा। मायावती पर गेस्ट हाउस के कमरा नंबर एक में हमला हुआ था। 2 जून 1995 को मायावती लखनऊ के स्टेट गेस्ट हाउस के कमरा नंबर एक में अपने विधायकों के साथ बैठक कर रही थीं। तभी दोपहर करीब तीन बजे कथित समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं की भीड़ ने अचानक गेस्ट हाउस पर हमला बोल दिया। कांशीराम के बाद बीएसपी में दूसरे नंबर की नेता मायावती उस वक्त को जिंदगी भर नहीं भूल सकतीं। उस दिन एक समाजवादी पार्टी के विधायकों और समर्थकों की उन्मादी भीड़ सबक सिखाने के नाम पर दलित नेता की आबरू पर हमला करने पर आमादा थी।

 

By #AARECH