नई दिल्ली
राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल के एक डेलिगेशन ने राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी के नेतृत्व में संसद भवन में विभिन्न दलों के सांसदों से मुलाक़ात की। इस मुलाकात में 10 अगस्त, 1950 को संविधान के अनुच्छेद 341 में तत्कालीन काग्रेसी प्रधानमंत्री द्वारा लगाए गए असंवैधानिक प्रतिबंध को हटाने को लेकर संसद में इस मुद्दे के उठाने की मांग की।
मौलाना रशादी ने बताया कि अनुच्छेद 341 में मुस्लिम व ईसाई दलितों को एक साजिश के तहत एससी एसटी एक्ट से बाहर कर दिया गया। इस दोबारा एससी एसटी में शामिल कर आरक्षण देने की आवाज़ को लोकसभा और राज्यसभा के मौजूदा सत्र में उठाने का अनुरोध का अनुराध सांसदों से किया गया। उन्होंने कहा कि इस सभी सांसदों स पर सभी ने सहमती जताई। मौलाना रशादी ने कहा कि विशेष रूप से सीपीएम सांसद मोहम्मद सलीम ने तो तत्काल ही जीरो ऑवर का नोटिस लोकसभा स्पीकर को देकर शुक्रवार को ही इस मुद्दे को लोकसभा में उठाने का वादा किया।
मौलाना रशादी ने बताया कि उलेमा कौंसिल संविधान के दिये इस आरक्षण को धर्म के नाम पर प्रतिबंध कर लाखों गरीब वंचित मुस्लिम-ईसाई की पिछड़ी बिरादरी जैसे कि नट, दफाली, हेला, मोची, हलालखोर वग़ैरा के हक़ की लड़ाई हर मोर्चे पे लड़ने को तैयार है। उन्होंने कहा कि 10 अगस्त को पार्टी देश भर में “अन्याय दिवस” मना रही है। उन्होंने कहा कि पार्टी संसद में भी इस मुद्दे को उठवाकर देश के सामने इस अन्याय को लाने की कोशिश कर रही हैं। उम्मीद है कि संसद में ये मुद्दा उठेगा और सरकार इस पर अपना रुख साफ करेगी।