आज़मगढ़, यूपी
राष्ट्रीय उलेमा कौंन्सिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी ने अपने बयान में कहा कि मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी एक अल्पसंख्यक संस्था है। इसकी हिफाज़त हर इल्म दोस्त व हर वह शख्स जो अपने बच्चों के हाथ में कलम-कॉपी देखना चाहता है उस पर फ़र्ज़ है। ऐसे में सभी को जौहर यूनिवर्सिटी की हाफाज़त में एकजुट हो जाना चाहिए।
उलेमा कौंसिल के अध्यक्ष मौलाना रशादी ने कहा कि मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी को प्राइवेट यूनिवर्सिटी कह कर उसकी अहमियत को कम करने वालों को याद रखना चाहिए कि मोहम्मद आज़म खान ज़ौहर यूनिवर्सिटी को अपने साथ क़ब्र में नही ले जायेंगे। बल्कि आने वाली नस्लें उससे फायदा उठाएंगी। उन्होंने कहा कि यह सिलसिला आज़ादी के बाद से ही चल रहा है। तालीमी अदारों पर रुकावटे डालना या फिर उनको बन्द करने के लिए क़ानूनी कोशिश करना सरकारों का काम रहा है।
मौलाना रशादी ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक क़िरदार की लड़ाई इंदिरा गांधी के दौर में लड़ी गयी थी। मौलाना रशादी ने कहा कि मैं जल्द रामपुर जाऊंगा और वहां जिम्मेदारों से मुलाक़ात करूंगा और जो भी मुमकिन हुआ वह मदद करूंगा। जौहर यूनिवर्सिटी को बचाना हम सब पर फ़र्ज़ है।