लखनऊ, यूपी
प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुकी है। हर तरफ अपराधियों का बोलबाला है। प्रदेश की योगी सरकार में पुलिस का मनोबल बिल्कुल गिर चुका है। राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के कई ज़िलों में खुलेआम हत्याएं हो रही हैं, वहीं प्रदेश की योगी सरकार अपना दामन बचाने के लिए निर्दोषों का एनकाउंटर करा रही है। प्रदेश की खराब कानून व्यवस्था को देखते हुए महामहिम राष्ट्रपति जी को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए। ये बातें समाजवादी अल्पसंख्यक सभा के प्रदेश हाजी रियाज़ अहमद ने कही।
सपा अल्पसंख्यक सभा के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मंत्री हाजी रियाज़ अहमद के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल राजधानी लखनऊ के ठाकुरगंज थाना क्षेत्र के हुसैनाबाद बंधे के किनारे 29 अक्टूबर 2018 को आठ वर्षीय बच्ची की हत्या के बाद पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचा। सपा अल्पसंख्यक सभा का ये प्रतिनिधिमंडल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देष पर विभिन्न बिन्दुओं की जांच करने गया था। प्रतिनिधिमंडल अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष को सौपेंगा।
सपा का प्रतिनिधिमंडल जब पीड़ित परिवार के घर पहुंचा तो मासूम बच्ची के पिता से मिलकर हाजी रियाज़ अहमद काफी भावुक हो गए। उन्होंने सपा अल्पसंख्यक सभा की तरफ से परिवार को आर्थिक मदद दी और पीड़ित परिवार को भरोसा दिलाया कि वह उनकी लड़ाई में साथ रहेंगे। इस दौरान पीड़ित परिवार ने बताया कि ये घटना पुलिस की लापरवाही की वजह से हुआ।
पत्रकारों से बात करते हुए हाजी रियाज़ अहमद ने कहा कि सपा सरकार में छोटी-मोटी वारदातों को बढ़ा-चढ़ा कर बताने वाले आज गायब हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की योगी सरकार में गुंडाराज चरम पर है। पिछले एक हफ्ते को गौर से देखें तो राजधानी लखनऊ से लेकर कोई ज़िला नहीं बचा जहां अपराधियों ने बड़ी वारदात न की हो। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में दिनदहाड़े एक माल में अपराधी दो लोगों की हत्या करके आसानी से निकल जाते हैं, और पुलिस कुछ नहीं कर पा रही है। हाजी रियाज़ ने कहा कि योगी सरकार में बीजेपी नेताओं के दबाव के चलते पुलिस अपना काम भी ठीक से नहीं कर पा रही है।
सपा अल्पसंख्यक सभा के प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश अध्यक्ष हाजी रियाज अहमद के अलावा प्रदेश महासचिव मो. यामीन खान, प्रदेश उपाध्यक्ष श्याद अली, प्रो. नसीम अख्तर, प्रदेश उपाध्यक्ष एवं मीडिया प्रभारी मो. आजम खान एडवोकेट, डॉ आरए उस्मानी, प्रदेश सचिव मौलाना इसराइल, शाह आलम, गुलाम नबी, केसी जैन, कमाल अहमद सिद्दीकी आदि शामिल थे।