लखनऊ, यूपी
मजलिस-ए-ताहफ्फुजे नामूसे सहाबा की की तरफ से ताहफ्फुज़े हरम कांफ्रेंस का आयोजन लखनऊ में किया गया। इस कांफ्रेंस में प्रदेश भर से जुटे उलेमा-ए-एकराम जुटे। कांफ्रेंस में उलेमाओं ने सऊदी हुकूमत के विरोध को हरमैन अल-शरीफैन यानी मक्का और मदीना शहर को खत्म करने की साजिश करार दिया।
कांफ्रेंस में यमन, इराक, लीबिया और लेबनान के हालात के लिए ईरान को ज़िम्मेदार बताया गया। इसके साथ ही उलेमाओं ने उसे दहशतगर्दों का मददगार बताया। कांफ्रेंस में इस्लामी मुल्कों के खिलाफ ईरानी कार्रवाइयों की निंदा की गई। साथ ही दहशतगर्दी को खत्म करने और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे को खत्म करने की साजिश के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए गए।
शहर के रकाबगंज में मौजूद दारुल मुबल्लिगीन के हाता शौकत अली में आयोजित कांफ्रेंस में नदवा के प्रिंसिपल मौलाना डॉ सईदुर्रहमान आज़मी नदवी ने कहा कि दुनिया की इस्लाम विरोधी ताकतें मक्का और मदीना शहर को नुकसान पहुंचाने के लिए खुद को मुसलमान कहलाने वाले लोगों को हथियार बना रही हैं, ताकि उन पर इस्लाम विरोधी होने का इल्ज़ाम न लगे।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना अशहद रशीदी ने कहा कि आतंकवादी दुनिया के मुल्कों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे में कोई मुल्क किसी को दहशतगर्दी की सज़ा देता है तो उसका विरोध करना दहशतगर्दी को बढ़ावा देना है। ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि ईरान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं की रिपोर्टों को आम करना ज़रूरी हो गया है।
इस कांफ्रेंस का संचालन दारुल मुबल्लिगीन के उस्ताद कारी सिद्दीक ने किया। मौलाना मतीनुल हक ओसामा कानपुरी, मौलाना कफील अशरफ, मौलाना अनवार जामई, मौलाना आफताब आलम, मौलाना साजिद मज़ाहिरी, मौलाना अब्दुल अज़ीम फारूकी ने भी अपनी बात रखी। आखिर में दारुल उलूम देवबंद के प्रिंसिपल मौलाना अबुल कासमी नोमानी ने देश-दुनिया में अमन व खुशहाली की दुआ मांगी।