जनवरी 1920 में क्रांतिधरा पर कदम रखते ही महात्मा गांधी ने राजनीतिक गलियारे में हलचल मचा दी थी। इस दौरान देवनागरी कॉलेज से घंटाघर तक निकाले गए जुलूस में लोगों ने हिंदू-मुस्लिम एकता का परिचय दिया था। जिमखाना और कैसल व्यू पर हुई जनसभाओं में गांधी जी ने खिलाफत और असहयोग आंदोलन को एक सूत्र में पिरोया। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर गांधी जी के मेरठ प्रवास के बारे में जानकारी दी।
आगे पढ़िए गांधी जी से जुड़े संस्मरण इतिहासकार प्रो केडी शर्मा की जुबानी। देवनागरी कॉलेज में स्वागत समारोह के बाद गांधी जी ने जुलूस का नेतृत्व किया। खिलाफत और असहयोग आंदोलन में जुड़ने के लिए लोगों को संदेश देने पहुंचे गांधी जी के साथ काफी संख्या में हिंदू-मुस्लिम समूह जुड़ गया। जुलूस में हिंदुओं ने अपनी ड्रेस पर चांद-सितारा चिन्ह और मुस्लिमों ने पीला टीका लगा रखा था। जुलूस के बाद गांधी जी ने घंटाघर (कंबोह गेट) पर जनसभा की। इसमें असहयोग और खिलाफत आंदोलन में एक साथ जुड़कर इसके सफल बनाने की अपील की गई।