लखनऊ, यूपी
कहते हैं कि जब आपके दिल में ईमानदारी हो और आप शिद्दत से धर्म का पालन कर रहे हैं तो महंगी से महंगी वस्तू आपके ईमान को नहीं डिगा सकती। लखनऊ में कुछ ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला। 11 अगस्त को दिन में किसी ज़रूरी काम से काज़ी दाऊद अरावली मार्ग तिराहा, इंदिरा नगर स्थित लेखराज काम्पलेक्स गए थे। वहां उन्हें काम्प्लेक्स के पैसेज में दिन में दो बजे ज़मीन पर एक ब्रेसलेट मिला। ये ब्रेसलेट गोल्ड का था। काज़ी दाऊद ने वहां आसपास कई लोगों से पता किया कि ये हार किसका है। पर हर किसी से मना कर दिया। काज़ी दाऊद ने काम्प्लेक्स के ज़िम्मेदारान और कुछ दुकानदारों को हार मिलने की बात बताई। साथ ही अपना मोबाइल नंबर दे दिया।
तीन दिन बाद 14 अगस्त की शाम पांच बजे काज़ी दाऊद के पास एक फोन आया। फोन करने वाले ने अपना नाम विनोद यादव, निवासी गायत्री पूरम, कुर्सी रोड बताया। विनोद यादव ने कहा कि जो ब्रेसलेट उन्हें मिला है वो उनका है। काज़ी दाऊद ने हार की तस्दीक के लिए उनसे कुछ प्रूफ मांगे। विनोद यादव ने ब्रेसलेट की रसीद, और कुछ फोटो भेजी और बताया कि ये हार उनकी पत्नी ने उन्हें तोहफे में दिया था।
काज़ी दाऊद ने पूरी तरह तसदीक होने के बाद उन्हें 15 अगस्त को दोपहर के वक्त बुलाया। अगले दिन 15 अगस्त को दिन में 2 बजे काज़ी दाऊद के ऑफिस गोमतीनगर में विनोद यादव पहुंचे। विनोद यादव अपनी पत्नी और अपने परिवार के साथ दो गाडियों में आए थे। यहां काज़ी दाऊद और उनके साथियों ने विनोद यादव का स्वागत किया। साथ ही उन्होंने कहा कि हमारे दीन में ये बात साफ लिखी है कि किसी का भी सामान उस तक पहुंचा दो। जिज्ञासावस विनोद यादव ने पूछा कि अगर हमें पता न चलता तो आप क्या करते। काज़ी दाऊद ने उनसे कहा कि हम एक साल इंतज़ार करते और उसके बात इससे गरीबों और ज़रूरतंद लोगों की मदद कर देते। ब्रेसलेट मिलने के बाद विनोद यादव और उनका परिवार खुशी से भावुक हो गया। उन्होंने काज़ी दाऊद की ईमानदारी और उनके साथियों के व्यवहार पर कई बार शुक्रिया अदा दिया। विनोद यादव ने कहा कि कहा कि आज के दौर में ऐसे ईमानदार लोग विरले ही मिलते हैं।
काज़ी दाऊद से जब पीएनएस सवाल किया कि हार को देखकर वापसी का ख्याल क्यों आया जबकि वो गोल्ड का था। काज़ी दाऊद का सीधा जवाब था कि “जब दिल में ईमान हो और अल्लाह का खौफ हो तो गोल्ड भी मिट्टी लगता है“। उन्होंने आगे कहा कि हम मुसलमान हैं और हमें हमेशा याद रखना है कि हम पर अल्लाह की नज़र हैं। हमें हमेशा दीन की तबलीग करनी है।
काज़ी दाऊद पिछले कई सालों से लखनऊ में रह रहे हैं। वो पेशे से सिविल इंजीनियर हैं। यहां वो जॉब करते हैं। अपने काम के साथ वो कौम और नौजवानों के लिए फिक्रमंद रहते हैं। हमेशा दूसरों के इज़्ज़त देने वाले काज़ी दाऊद के इस काम से उनका मुकाम लोगों की निगाह में और बड़ा हो गया है। सच तो ये है कि आज के वक्त में काज़ी दाऊद जैसे नौजवान ही कौम के असली अम्बेसडर हैं।