लखनऊ, यूपी
लोकसभा चुनाव का अब आखिरी दौर चल रहा है। कल यानी 12 मई को छठे दौर का मतादन होना है। इस दौर में यूपी की 14 सीटों पर मतदान होगा। इस दौरान प्रदेश के कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई है। इस दौर में सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, फूलपुर, अम्बेडकरनगर, डुमरियागंज, बस्ती, श्रावस्ती, सन्तकबीरनगर, लालगंज, आज़मगढ़, मछलीशहर, जौनपुर और भदोही लोकसभा सीट के लिए मतदान होगा।
आज़मगढ़ सीट
इस दौर में सबसे प्रतिष्ठित सीट आज़मगढ़ है। यहां सपा प्रमुख अखिलेश यादव का मुकाबला बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ से हैं। वहीं उलेमा काउंसिल ने यहां से प्रदेश अध्यक्ष को मैदान में उतारा है। 2014 की मोदी लहर से अछूती रहने वाली पूर्वांचल की एकमात्र सीट आजमगढ़ थी। पिछले चुनाव में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव यहां से चुनाव लड़कर जीते थे तो इस बार सपा मुखिया अखिलेश यादव चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस ने अखिलेश यादव के खिलाफ प्रत्याशी ही नहीं खड़ा किया है। ऐसे में इस सीट पर सपा और भाजपा में सीधी टक्कर है।
सुलतानपुर सीट
केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को बेपी ने पीलीभीत की जगह यहां से मैदान में उतारा है। उनके सामने कांग्रेस के डा. संजय सिंह हैं। वहीं गठबंधन से बीएसपी ने यहां से चंद्र भद्र सिंह को मैदान में उतारा है। बीते चुनाव में वरुण गांधी ने जीत दर्ज कर यहां भाजपा के लिए 16 साल का सूखा खत्म किया था। इस बार यहां से उनकी मां मेनका गांधी मैदान में हैं। 2009 में कांग्रेस को इस सीट पर जीत दिलाने वाले अमेठी के राजा डॉ़ संजय सिंह कांग्रेस ने प्रत्याशी हैं। पिछले चुनाव में बसपा के सिंबल पर चुनाव लड़कर 2,31,446 वोट पाने वाले पवन पांडेय ने मेनका के समर्थन में चिट्ठी जारी कर चुके हैं। सीट पर आठ बार कांग्रेस का कब्जा रहा है। लेकिन कभी चेहरा वह नहीं रहा।
इलाहाबाद सीट
बीजेपी से रीता बहुगुणा जोशी के सामने कांग्रेस के योगेश शुक्ला और गठबंधन के सपा उम्मीदवार राजेंद्र सिंह पटेल हैं। इलाहाबाद को हाई प्रोफाइल सीट माना जाता रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, वीपी सिंह, मुरली मनोहर जोशी, जनेश्वर मिश्र जैसे दिग्गजों के साथ-साथ अमिताभ बच्चन यहां से सांसद रहे। मौजूदा समय में यहां भाजपा का कब्जा है। लेकिन सांसद श्यामाचरण गुप्ता के पार्टी छोड़कर सपा में शामिल होने के बाद इलाहाबाद की मेयर रह चुकीं, कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणाजोशी को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में भाजपा के लिए इस सीट को बरकरार रखना चुनौती है
फूलपुर सीट
बीजेपी से केशरी देवी पटेल, कांग्रेस से पंकज पटेल निरंजन (कृष्णा पटेल के दामाद) मैदान में हैं वहीं गठबंधन से सपा के उम्मीदवार पन्धारी यादव हैं। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की कर्मभूमि फूलपुर से 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते पहली बार भाजपा ने खाता खोला था। हालांकि मार्च 2018 में हुए उपचुनाव में बसपा के समर्थन से सपा ने भाजपा को पटखनी देकर यह सीट अपने नाम की। ऐसे में इस बार लोकसभा चुनाव में एक बार फिर सपा-बसपा गठबंधन और बीजेपी के बीच मुकाबले की उम्मीद है। सीट से कुर्मी समाज के कई प्रत्याशी जीतकर संसद पहुंचे। इसके अलावा यहां सपा का भी मजबूत जनाधार माना जाता है।
जौनपुर सीट
गठबंधन से श्याम सिंह यादव के मुकाबले बीजेपी के मौजूदा सांसद केपी सिंह मैदान में हैं। वहीं कांग्रेस ने देवव्रत मिश्रा को टिकट दिया है। इस सीट पर सीधी लड़ाई गठबंधन बनाम बीजेपी दिख रही है। इस सीट पर कांग्रेस को अरसे से सफलता नहीं मिली है।
डुमरियागंज सीट
बीजेपी के जगदम्बिका पाल के सामने कांग्रेस के डॉ. चंद्रेश उपाध्याय हैं। वहीं गठबंधन से बीएसपी ने यहां पर काफी समय पहले ही आफताब आलम को उम्मीदवार बनाया दिया था। यहां पर पीस पार्टी के इरफान में मैदान में हैं। एक दिन का सीएम कहे जाने वाले जगदंबिका पाल मौजूदा समय में इस सीट से सांसद हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में ऐन चुनाव के पहले कांग्रेस छोड़कर कमल थामने वाले जगदंबिका पाल पर एक बार फिर यहां से भाजपा प्रत्याशी हैं।
अम्बेडकरनगर सीट
बीजेपी से मुकुट बिहारी का मुकाबला गठबंधन से बीएसपी के रितेश पाण्डेय है। संसदीय क्षेत्र बनने से पहले यह अकबरपुर संसदीय क्षेत्र के तहत आता था और यहीं से जीत हासिल कर बसपा सुप्रीमो मायावती चार बार लोकसभा में पहुंचीं। लेकिन मौजूदा समय में यह सीट भाजपा के पास है। हरिओम पांडेय यहां से सांसद हैं। हालांकि भाजपा ने उनका टिकट काटकर प्रदेश सरकार में मंत्री मुकुट बिहारी को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने उम्मेद सिंह निषाद को अपना प्रत्याशी बनाया था, लेकिन उनका पर्चा खारिज होने के बाद यहां भाजपा और बसपा में सीधी टक्कर हो गई है।