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19 Oct 2024, Sat

गुवाहाटीः कारगिल युद्ध में शामिल रहे सेना के पूर्व अधिकारी मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशी घोषित कर दिया गया है। इसके बाद उन्हें हिरासत में लेकर नज़रबंदी शिविर भेज दिया गया। पुलिस ने यह जानकारी दी है।

भारतीय सेना में तकरीबन 30 साल तक सेवाएं दे चुके कामरूप जिले बोको पुलिस थाना क्षेत्र के गांव कोलोहिकाश के निवासी मोहम्मद सनाउल्लाह को इसी जिले में कार्यरत विदेशियों के लिए बने न्यायाधिकरण (फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल) ने विदेशी घोषित किया। विदेशी घोषित होने के बाद सनाउल्लाह को परिवार सहित नज़रबंदी शिविर भेज दिया गया।

राष्ट्रपति पदक से सम्मानित मोहम्मद सनाउल्लाह इस समय असम सीमा पुलिस में सहायक उप-निरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं।

उनका नाम नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिंजन्स (एनआरसी) में नहीं हैं। विदेशी न्यायाधिकरण ने 23 मई को जारी आदेश में कहा कि सनाउल्लाह 25 मार्च, 1971 की तारीख से पहले भारत से अपने जुड़ाव का सबूत देने में असफल रहे हैं। वह इस बात का भी सबूत देने में असफल रहे कि वह जन्म से ही भारतीय नागरिक हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 52 वर्षीय सनाउल्लाह अगस्त 2017 में भारतीय सेना के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स (ईएमई) कोर में सूबेदार के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने विदेशी न्यायाधिकरण के समक्ष दिए बयान में कहा कि वह जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर के संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात रहे हैं।

विदेशी न्यायाधिकरण, कामरूप (ग्रामीण) ने इस साल 23 मई को सनाउल्लाह को विदेशी घोषित किया था। उनके परिवार के सदस्यों और वकील का कहना है कि सनाउल्लाह भारतीय नागरिक हैं और इसका पता उनके पूर्वजों के दस्तावेजों से आसानी से लगाया जा सकता है।

कामरूप जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजीब सैकिया ने सनाउल्लाह को हिरासत में लिए जाने की पुष्टि करते हुए कहा, ‘विदेशी न्यायाधिकरण ने उन्हें विदेशी घोषित किया है और हम कानून का पालन करेंगे।’

सैकिया ने बताया कि 2008 में सनाउल्लाह का नाम मतदाताओं की सूची में ‘डी’ (संदिग्ध) मतदाता के रूप में दर्ज किया गया था। उन्होंने बताया कि न्यायाधिकरण के फैसले के बाद पुलिस ने तय प्रक्रिया के अनुरूप कार्रवाई करते हुए सनाउल्लाह को गोलपाड़ा के हिरासत शिविर में भेज दिया।

सनाउल्लाह के वकील सहिदुल इस्लाम ने कहा कि सनाउल्लाह को मंगलवार को हिरासत में लिए जाने के बाद उत्तरी गुवाहाटी में पुलिस हिरासत में रखा गया और उन्हें बुधवार दोपहर गोलपाड़ा के हिरासत केंद्र भेजा गया। उन्हें पिछले साल विदेशी न्यायाधिकरण से नोटिस मिला था और वह पहली बार 25 सितंबर, 2018 को न्यायाधिकरण के समक्ष पेश हुए थे।

सहिदुल का कहना है, ‘उन्होंने (सनाउल्लाह) अपने हलफनामे में कहा है कि वह 1987 में सेना में भर्ती हुए थे। मौखिक रूप से भी उन्होंने पूछताछ के दौरान सेना में भर्ती होने का साल 1987 बताया लेकिन अदालत के अधिकारियों द्वारा वह गलती से 1978 रिकॉर्ड हो गया। हमने उस वक्त इसका विरोध नहीं किया क्योंकि कोरे कागज पर उनके हस्ताक्षर लिए गए थे।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, सनाउल्लाह ने कहा, ‘उनका दिल टूट गया है। भारतीय सेना में तीस साल तक सेवा देने के बाद मुझे यह ईनाम मिला है।’

सनाउल्लाह ने शिविर में जाने से पहले पत्रकारों से कहा कि वह एक भारतीय नागरिक हैं और उनके पास नागरिकता संबंधी सभी आवश्यक दस्तावेज हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने देश की सेना में 30 वर्षों (1987-2017) तक इलेक्ट्रॉनिक और मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के एक अधिकारी के रूप में सेवा की और 2014 में उन्हें राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया।

उनकी बेटी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनके पिता ने न्यायाधिकरण को अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए सभी जरूरी दस्तावेज दिए थे, जिसमें मतदाता कार्ड और पैतृक संपत्ति के दस्तावेज शामिल थे।

सनाउल्लाह के परिवारवालों ने बताया कि वह न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ गौहाटी उच्च न्यायालय में अपील करेंगे।

By #AARECH