लखनऊ, यूपी
समाजवादी पार्टी के पूर्व महासचिव कमाल फारुकी ने बीएसपी को समर्थन देने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की अखिलेश सरकार हर मोर्चे पर नाकाम रही है। गरीब नवाज़ फाउंडेशन, उलेमा काउंसिल, शाही इमाम अहमद बुखारी के बाद अब मुस्लिम नेता कमाल फारुकी ने बीएसपी को समर्थन देने का ऐलान किया।
कमाल फारूकी फिलहाल कई संस्थाओं से ज़ुड़े हैं। वो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सक्रिय सदस्य हैं। कमाल फारूकी को अतंक के आरोप में जेल नें बंद यासीन भटकल के समर्थन करने के बयान के बाद उन्हें सपा से निकाल दिया गया था। लखनऊ में आयोजिक एक प्रेस कांफ्रेंस में फारूकी ने कहा कि अखिलेश सरकार ने राज्य की दुर्दशा की है और मुसलमानों के लिये कुछ नहीं किया है।
फारुकी ने कहा कि वह बुद्धिजीवी हैं और बीएसपी में शामिल नहीं हो रहे हैं। मौजूदा हालात को देखा जाए तो बीएसपी ही एक ऐसी पार्टी है जो प्रदेश के हितों की रक्षा कर सकती है। उन्होंने कहा, “मैं बीएसपी ज्वाइन नहीं कर रहा। मैं एक स्वतंत्र आवाज़ हूं। मुझे लगता है ऐसी आवाज़ इस वक़्त उठना बेहद ज़रुरी है। बीएसपी के बारे में भ्रम फैलाया जा रहा है। नोट बंदी का असर दलित और मुस्लिमों पर ज्यादा पड़ा है।”
कमाल फारूकी ने कहा कि अगर मुस्लिम और दलित एक साथ आ जाएं तो संविधान मे दिये गए अधिकारों को वो पा सकते हैं। संविधान में सबको बराबर का अधिकार दिया गया है और किसी के साथ जाति, धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी ने पिछले पांच साल में मुसलमानों के साथ कोई काम नहीं किया है। उन्होंने कहा कि बहन मायावती ने उनसे वादा किया है कि वो किसी भी कीमत पर बीजेपी से हाथ नहीं मिलाएंगी।
कमल फारूकी ने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ट्रिपल तलाक पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद की आलोचना करते हुए कहा कि मामला अभी अदालत में है और ऐसे में उन्हों इस तरह का बयान नहीं देना चाहिये था। उन्होंने कहा कि केंद्र के मंत्री और बीजेपी के नेता लगातार संविधान के खिलाफ बयान दे रहे हैं।